मानव का कल्याण ।
हे मनुष्यों तुम अपने विनाशकारी त्रिगुणों ( तामसिक , राजसिक ,और सात्विक गुणों ) को, माईक गुणों को पहचानों, जानो , जिसके परिणाम स्वरुप , फलस्वरुप , आदत वश , प्रभाव वश तुम बार बार संसार के तरफ ही चले जाते हो । माया के तरफ, संसार के तरफ ही तुम्हारा मन तुमको खींच कर बार बार ले जाता है, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार एक कुत्ता बार बार मार खाने पर भी रोटी के एक टुकरे के लिये बार बार उसी दरवाजे पर जाता है जहां उसके टागं पर मार खाने से चोट लगने के कारण उसकी टांग टुट जाती हैं ।
इसिलिए हरिगुरु के बुद्धि में अपनी बुद्धि जोड़ कर तत्वज्ञान प्राप्त करो , संसार की जगह हरिगुरु से हीं प्यार करों । अपने आपको उनके चरण कमलो में सौप दो । उनके बताए मार्ग का सहारा लेकर भक्ति करो , साधना करो जिससे तुम्हारा ये त्रिगुण स्वभाव समाप्त हो जाए । ये मन हरिगुरु को सौप कर निश्चिन्त हो जाओ , जिससे तुम्हारा पंचक्लेश , पंचकोश भष्म हो जाऐगें , तुम त्रिगुणों के ताप से मुक्त हो जाओगे , फिर ऐ माया तुम्हारे मन को अपनी ओर नही खींच पाऐगी । इसलिए अपने परम हितैषी हरिगुरु के बातों को मानों, वो अपने 'कृपालु एवं दयालु स्वभाव बस ही तुमको इस माईक जगत के दु:खों से मुक्ति दिला कर सदा के लिए अलौकिक सुख देना चाहते हैं । इस जगत में तुम्हारा हमारा एक मात्र नि:स्वार्थ हितैषी, परम शुभ चिन्तक हरिगुरु हीं है । यह जानो नही तो कड़ोड़ों कल्प दु:ख मे ही तरपते रहोगे । भगवान तो न्यायी हैं वो तुम्हारे हमारे कर्मो के अनुसार ही फल देते हैं । पर हरिगुरु हीं एक मात्र ऐसे परम तत्व हैं जो हमारे तुम्हारे समस्त अपराधों को क्षमा करके , शुद्ध करके भगवान के गोद में वैठा देते हैं । उनका लोक दे देते हैं । सबकुछ मिल जाता है । विश्वास करो , संसार पर बहुत विश्वास करके देख लिया , अब तो हरिगुरु पर विश्वास करो ।
इसलिऐ तुम्हारा कल्याण सिर्फ तुम्हारे हाथों में ही है। :- मां के प्रवचन सीडी से ।
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