"निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय"-कबीर ।
श्री महाराज जी द्वारा इस दोहे की व्यवहारिक व्याख्या -
"निंदक नियरे राखिए, आँगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय"-कबीर ।
आज कल कबीरदास जी के इस दोहे का दुरूप्योग अक्सर तकिया कलाम के जैसे करते हुए बहुत से तथाकथित विद्वान और भोले भाले लोगों को सुन रहें हैं आप सब ।
जरूरी है इन बातों को समझना पहले श्री महाराज जी द्वारा ।
मैंने श्री महाराज जी से एक पिकनिक के कार्यक्रम के दौरान एक व्यक्ति के इस दोहे के उपयोग संबधी मार्ग दर्शन सुना है । वो आपसे शेयर करता हुं । बहुत जरूरी है ।
श्री महाराज ने समझाएं हैं ( मैं अपने शब्दों में उनका दिशा निर्देश लिख रहा हुं ) कि कौन से निंदक को अपने आंगन में कुटी छवा कर रखने की सिफारिश कबीर दास करतें हैं तो यह उस दोहे में उन्होंने स्वयं लिखा है - कि जो आपको बिना पानी और साबुन का निर्मल बना दे । आपके बिचारों को शुद्ध कर दे । आपको आपकी गलती बतलाकर आपको सही रास्ता दिखाएं और आपके हित का सोंचें , बिना राग द्वेष के आपका भला चाहे ।
अब ए जो आपका निंदक है जिसके लिए आपको उसका कुटी बनबाना है वो कैसा है ? यह समझना जरूरी है पहले आपके लिए ।
हां तो वो निंदक स्वयं शुद्ध होना चाहिए सबसे पहले , यानि जो स्वयं शुद्ध है , निर्मल है । जिसका मन बुद्धि निर्मल है , वहीं तो आपको भी शुद्ध करेगा ।
जो खुद गंदा है , जिसका अंत:करण मलिन हैं , बुद्धि क्षूद्र है । मन गंदा है वो आपको तो और गंदा हीं करेगा । और ऐसा निंदक निंदक क्या होगा भला , एक क्षूद्र बुद्धि है तमाम बुराई है उसमें । वो क्या किसी को शुद्ध करेगा ? उससे तो दुर हीं रहना श्रेयकर है ।
निर्मल जल में हीं चेहरा साफ नजर आता है । कोई गंदा पानी में जाकर देखें तो चेहरा और गंदा नजर आएगा और आएगा भी नहीं ।
अतः ऐसा जीव जो निर्मल हो चुका हो या निर्मल है मिलेगा नहीं संत को महापुरुष को छोड़कर इस संसार में कलयुग है , सब गंदा है संत और महापुरूषों को छोड़ कर।
तो कबीरदास ने ऐसे संत और महापुरूषों को जो स्वयं निर्मल है और आपको आपके गलती को सुधारने के लिए आपके सामने रखता है , तो ऐसे निंदक को अपने घर में कुटी छवा कर यानी उसका संग करने के लिए कबीरदास ने कहा है । वो किसी गंदे जीव को मत रख लिजिएगा आंगन में कुटी बनवाकर, वो तो कुसंग का माध्यम बनेगा , खुद गंदा है तो भला आपको तो और गंदा हीं करेगा ।
आजकल लोग बोल देतें ए दोहे दुसरे की निंदा करतें हैं और अपने बचाव के लिए ऐसा ज्ञान दे देतें हैं । इन लोगों से बच करके रहें ।
Comments
Post a Comment