राधारानी की अष्ट सखियां ।।
Harish Sharma भईया जी आपने पुछा है कि राधारानी की अष्ट सखियाँ है राधाकुंड पर सबके कुंज है उन एक एक कुंज का विस्तार से कोन कोंन सी जगह पर स्थित है और उनकी क्या क्या सेवा है कृपया ये गुढ़ बताइये अगर आपको मालूम हो तो ।।
उत्तर - भईया श्री महाराज जी कि कृपा से जितना मालुम है मुझे वो बता रहा हुं उनके सेवा और गांव के बारे में । इस पर बहुत पहले भी एक पोस्ट डाला गया था मैं । भईया विस्तार से लिखना तो संभव नहीं होता है पर संक्षेप में लिखे रहा हुं ।
आज गोलोक में हीं उनकी अष्ट साखियां है , सबका अलग अलग कुंज में , यानि उनके अपने अपने दिव्य महल रूपी कुंज है ।
जब प्रिया प्रीतम आए थे पृथ्वी परकिया भाव के प्रेम रस का आदान प्रदान करने , तो आज जो हमारा प्यारा धाम वृन्दावन है उसमें गोलोक से हीं , वहीं दिव्य धाम उतरा था । और फिर लीला हुआ, फिर सब अपने अपने दिव्यधाम चले गए । तो गोलोक में वही वृन्दावन धाम , कुंज , निकुंज , राधारानी का गहवर भवन आदि है । और यहां के इसी वृन्दावन धाम में वो सभी दिव्य चिन्मय स्थल उतरा था उस समय , जिसका चिन्ह हर जगह प्रत्यक्ष है आज भी ।
तो भगवान श्री कृष्ण के सखाओं की भांति श्रीराधारानी की भी अनेक सखियां थीं। जिन्हें सखी, नित्यसखी, प्राणसखी व प्रियसखी कहा जाता है किन्तु इनके अतिरिक्त श्री राधारानी की आठ सखियां थीं जो "अष्टसखी" के नाम से सुविख्यात है ।
ये हैं -1. ललिता
2. विशाखा
3. चित्रा
4. इंदुलेखा
5. चंपकलता
6. रंगदेवी
7. तुंगविद्या
8. सुदेवी
तो इन सबकी अपना अपना निकुंज सेवा है । और यह सभी अलग अलग सेवा करती है श्री राधारानी का ।
जिसमें ललिता सखी । गायन में निपुण हैं ।
अष्ट-सखियां और उनकी निकुञ्ज-सेवा इस प्रकार है ।
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श्रीललिताजी
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ये सखी सबसे चतुर और प्रियसखी हैं । ये राधारानी को तरह-तरह के ‘खेल’ खिलाती हैं । कभी-कभी नौका-विहार,वन-विहार भी कराती हैं । ये सखी ठाकुरजी को हर समय बीङा (पान) देती रहती हैं । ये ‘ऊँचा गांव’ मे रहती हैं । इनकी उम्र १४ साल ८ महीने २७ दिन है ।
श्रीविशाखाजी
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ये गौरांगी हैं । ठाकुरजी को सुदंर-सुदंर चुटकुले सुनाकर हँसाती हैं । ये सखी ‘युगल-सरकार’ को सुगन्धित-द्रव्यों से बने चन्दन का लेप करती हैं । इनकी उम्र १४ साल २ महीने १५ दिन है ।
श्रीचम्पकलताजी
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ये सखी ठाकुरजी को अत्यन्त प्रेम करती हैं । ये ‘करहला-गांव’ मे रहती हैं । इनका अंगवर्ण पुष्प-छटा की तरह है । ये ठाकुरजी की रसोई-सेवा करती हैं । इनकी उम्र १४ साल २ महीने १३ दिन है ।
श्रीचित्राजी
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ये सखी राधारानी की अति-मनभावती सखी हैं । ये बरसाने मे ‘चिकसौली-गांव’ मे रहती हैं । जब ठाकुरजी सोकर उठते हैं, तब यह सखी फल,शर्बत,मेवा लेकर खड़ी रहती हैं । इनकी उम्र १४ साल ७ महीने १४ दिन है ।
श्रीतुगंविद्याजी
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ये सखी चदंन की लकड़ी के साथ कपूर हो,ऐसे महकती हैं । ये युगलवर के दरबार मे नृत्य ,गायन करती हैं । ये वीणा बजाने मे चतुर हैं । ये माँ पार्वती का अवतार हैं । इनकी उम्र १४ साल २ महीने २२ दिन है ।
श्रीइन्दुलेखाजी
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ये सखी अत्यन्त सूझ-बुझ वाली हैं । ये ‘सुनहरा-गांव’ मे रहती हैं । ये किसी की भी हस्तरेखा देखकर बता सकती हैं कि उसका क्या भविष्य है । ये प्रेम कथाऐं सुनाती हैं । इनकी उम्र १४ साल २ महीने १० दिन है ।
श्रीरगंदेवीजी
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ये बड़ी कोमल व सुदंर हैं। ये राधारानी के नयनों मे ‘काजल’ लगाती हैं और श्रृंगार करती हैं ।इनकी उम्र १४ साल २ महीने ४ दिन की है ।
श्रीसुदेवीजी
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ये सबसे छोटी सखी हैं। बड़ी चतुर और प्रियसखी हैं। ये भी ‘सुनहरा-गांव’ मे रहती हैं । ये ठाकुरजी को जल-पिलाने की सेवा करती हैं । इनकी उम्र १४ साल २ महीने ४ दिन की है ।
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और Harish Sharma bhaiya , आपने यह निचे बाला गुढ़ बात बताया, राधाकुंड पर उनके स्थान ,, आपको साधुवाद ।
तो आपके सौजन्य से यह जो नीचे लिखा है वो मिला :-
🌸🌹🌸🌹 *श्री ललिता जी का ललितानंददकुंज का वर्णन*🌸🌹🌸🌹
🍁श्री राधा कुंड के उत्तर में *ललितानन्दद* नामक कुंज है
ये अष्टदल कमल के समान आकार वाला आठ उपकुंजो से घिरा हुआ है
🍁उसमे *अनंगाम्बुज*नामक एक चबूतरा विराजमान है
श्री राधाश्यामसुन्दर की लीला अनुरूप कुंज का आकार छोटा बड़ा हो सकता है
श्री ललिता जी के शिष्या *कलावती* के द्वारा नित्य इस कुंज का संस्कार होता है
यह कुंज श्री युगल का केली विनोद का समृद्ध स्थान स्वरूप है
🍁अनंगाम्बुज चबूतरे के वायु कोंण में *बंसत सुखद कुंज* है
ये विभिन्न प्रकार के पुष्पों से भरा हुआ है और भ्रमर के गुंजन ,कोकिलादी के मधुर कूजन के पूर्ण है
🍁नैऋत्य कोंण में *श्री पद्ममन्दिर* नामक कुंज है विराजमान है
इसकी दीवारे अनेक प्रकार की मणियों से जड़ित है
श्री ललिता जी ने दीवारों पे श्री राधाश्यामसुन्दर के रास ,कुंज विलास ,नौका विहार,जलकेलि आदि लीलाओं के चित्र लगा रखे है
🍁ललितानंदद कुंज में *मदनान्दोलन हिंडोला -कुट्टीम नांमक कुंज*है
यही श्री राधाश्यामसुन्दर की झूलन लीला होती है
के हिंडोला रत्नों से जड़ा हुआ है
🍁ईशान कोंण में *माधवानंदद* नामक माधवी कुंज है
🍁 *सिताम्बुज*कुंज ललितानंदद कुंज के उत्तर में है
ये प्रफुल्लित मल्लिकयों से घिरा हुआ है
🍁 *नीलाम्बुज* कुंज नीलकमल के आकार का है और ये पूर्व दिशा में विराजमान है
ये प्रफुल्लित हेमलतायों,तमाल वृक्षो से सुशोभित और नील रत्न राशियों से जड़ित है
🍁दक्षिण में *अरुणाम्बुज* कुंज है
ये मणि मालायों से जड़ित है
प्रफुल्ल लवंग लताओं से घिरा हुआ है
🍁 पश्चिम दिशा में *हेमाम्बुज*नांमक कुंज है
ये चम्पक वृक्षो तथा लताओं से आच्छादित है
इस प्रकार ललितानंदद कुंज श्री राधाश्यामसुन्दर की अनेक मधुर लीलाओं की स्थली है
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