मानव गुढ़ रहस्य भाग -१ ( बहुत गुढ़ और महत्त्वपूर्ण , अंत तक सावधानी से पढ़ने के बाद हीं लाईक और कौमेंट करें ,

गुढ़ रहस्य भाग -१ ( बहुत गुढ़ और महत्त्वपूर्ण , अंत तक सावधानी से पढ़ने के बाद हीं लाईक और कौमेंट करें , हल्के में ना लें , नहीं तो समझ नहीं पाएंगे इस पोस्ट को, और जबतक इस पोस्ट को ठीक से नहीं पढ़ेंगे तो इसके आगे के क्रमिक पोस्ट को समझ नहीं पाएंगें, इतना समझ लिजिए की जो धन मुझे मिला है और मिल रहा है एक मात्र श्री महाराज जी के कृपा से वो उनके कृपा बल से और प्रेरणा से बांट रहा हुं । नहीं तो यह लिखने की इच्छा नहीं थी वो भी फेसबुक पर , पर अफसोस आप तक पहुंचाने का कोई दुसरा माध्यम इतना व्यापक नहीं है  , मैं कल रात दस बजे सोंच लिया था फाइनली की आध्यात्मिक पोस्ट अब लिखना बंद कर दूंगा पर श्री महाराज जी कहां मानने वाले हैं ।    )

आप सब भाई बहनों को श्री राधे । कुछ अंत:प्रेरणा ऐसी हुई है कि कुछ अति दुर्लभ गुप्त रहस्य मैं आप सबको बतलाऊं । बहुत गहराई में नहीं ले के जाऊंगा लेकिन कुछ झलक आपको बतलाऊंगा क्रमबद्ध पोस्ट के सिरियल के द्वारा अगले दस बारह  पोस्ट में , अपलोगों आश्चर्य रह जाऐगे और श्री महाराज जी के बतलाए रूपध्यान साधना की स्पीड आपकी काफी बढ़ जाएगी । और राधा कृष्ण और श्री महाराज जी के कृपालु नाम में आपकी श्रद्धा काफी बढ़ जाएगी । और आपको लाभ स्पष्ट महसूस होने लगेगा ।
जो बातें हमारे साधना के स्पीड और श्री महाराज जी एवं युगल सरकार में श्रद्धा और विश्वास बढ़ा दें ऐसी बातों को समझनी चाहिए । 
यह बातें श्री महाराज जी के कुछ दस बीस श्रद्धेय वरिष्ठ  प्रचारको को अवश्य मालुम है पर वो जरूरी नहीं समझे होगें इसको बतलाने का सार्वजनिक तौर पे , कारण कुछ बातें साधना सिद्ध और अनुभव सिद्धरूप में पाने के लिए छोड़ देतें हैं । आपकी प्यास होगी आप परिप्रश्न करेंगें उनसे तो वो बतलाते हैं अलग से । 
श्री महाराज जी की तो बात हीं छोड़िए वो तो स्वयं भगवान है । उनके बारे में कुछ लिखना सूर्य को दीपक दिखाने जैसा है । 
वो जितना जरूरी समझे हमारे पृथ्वी पर उनके अनुयायियों और श्रद्धालु़ के समझने कि योग्यता और बुद्धि की अवस्था के अनुसार उतना हीं वो रहस्य खोले , तत्वज्ञान हमें दिए । कुछ खास चीज वो अपने प्रचारकों को दिए और ज्यादा और वो भी इस बिषय में ज्यादा नहीं वोले । 
और अपलोग यह सोचते होंगे कि मैं और भी आधयात्मिक पुस्तकों का अध्ययन करता होऊंगा इसलिए वहां से लिख देता हुं । तो मैं आपको बतलाए देता हुं कि जो मैं बात बतलाने बाला हुं और जितनी गहराई से बतलाने बाला हुं वो किसी दुर्लभ बुक में हीं मिल सकता है वो भी उतनी गहरी नहीं जितना मैं आपसे शेयर करूंगा । 
और वो भी थोड़ा कम गहरा हीं बतलाऊंगा । ज्यादा गहराई मैं नहीं खोलुंगा । 
और यह बातें मेरी साधना के द्वारा प्राप्त ज्ञान है किसी किताब से नहीं । और मैं पीछले सात सालों से केवल श्री महाराज जी का पुस्तक पढ़ता हुं । बांकी सब छोड़ चुका हुं । 
कुछ लोगों को विश्वास नहीं होगा , पर मुझे इससे कोई मतलव नहीं और ना मैं खुद को कुछ साबित करने के लिए ऐसा कर रहा हुं । पीछे भी कुछ पराज्ञान का गाइड संबंधी बातें खोली हल्का तो आपके कुछ ज्ञान के लिए।
पर आगे जो लिखु़ंगा वो आध्यात्म विज्ञान का रहस्य है जो आपके ज्ञान चक्षु को खोलेगा ओर आपके साधना में सहायक सिद्ध होगा । 
विज्ञान दो प्रकार का आप सब जानते हैं भौतिक विज्ञान और आध्यात्मिक विज्ञान ।
असली विज्ञान आध्यात्मिक विज्ञान है वांकी इसके  की अंग है भाग है 
 जैसे १. परमात्मक विज्ञान , २ आत्मक विज्ञान ३. लौकिक विज्ञान या इसको भौतिक विज्ञान के नाम से जानतें हैं ।
अब भौतिक विज्ञान के भी अंग है जैसे जीव विज्ञान , प्राणी विज्ञान( biology) ( zoology) , बनस्पति विज्ञान( botany)
अब मनोविज्ञान( psychology) . रसायन विज्ञान (chemistry ), ब्रह्मांड विज्ञान ( astronomy ) आदि तो ए सब सब लोग जानते हैं हल्का फुल्का और इस विज्ञान के विशेषज्ञ इसको गहराई से जानतें हैं जैसे physics sienctist , chemical sienctist , bio scientist , astronomers , zoologsit, botanists  etc 
इसकी बात मैं नहीं करूंगा ।
परमात्मक विज्ञान, आत्म विज्ञान , भगवान के विज्ञान  के वैज्ञानिक तो असली संत ,, भगवान के अवतार होते हैं । जैसे श्री महाराज जी सर्वोत्तम वैज्ञानिक हैं असली परमात्मक विज्ञान के । यहां तक की वे सभी प्रकार के विज्ञान के स्वामीं हैं । 

अब आईए परा विज्ञान जिसके भी अनेक अंग हैं जैसे ज्योतिष विज्ञान , आयुर्वेद विज्ञान , योग विज्ञान , ध्यान विज्ञान आदि जिसको आपलोग हल्का फुल्का जानते हैं पर इसके विशेषज्ञ इस ज्ञान को बहुत गहराई से जानतें हैं । जैसे बाबा रामदेव , बालकृष्णा जी आदि लोग ।
तो मैं इसकी भी बात नहीं करूंगा ।
किंतु तत्वज्ञान के लिए शरीर योग विज्ञान अति आवश्यक है । 
अब कुछ उदाहरण देता हुं आप बिमार पडतें हैं तो डौक्टर के पास जाते हैं अब शरीर विज्ञान के अलग अलग भाग के अलग अलग डौक्टर हैं तो आपके पेट में दर्द है तो आप पेट के डौक्टर के पास जातें हैं कान में कुछ प्रोवलेम है तो ent के स्पेशलिस्ट के पास जातें हैं वो विशेषज्ञ हैं आपको कुछ टेस्ट लिख देतें हैं और टेस्ट को देख कर दबा लिख देतें हैं आप ठीक हो जातें हैं । आप यह नहीं पुछते कि यह रोग क्यों हुआ , क्या कारण हैं ? और ना हीं वो डौक्टर आपको गहराई से बतलाते हैं कि क्यों हुआ रोग ।
फिर दबा खा कर आप ठीक भी हो जातें है फिर उस डौक्टर के पास जाकर यह नही पुछते की ठीक हो गया सर , यह कैसे ठीक हो गया ? आदि,  इसकी जरूरत नहीं समझते । दबा कैसे काम करता है यह डौक्टर अच्छी तरह जानता है। कैसे ठिक कर दिया  यह भी वे जानते हैं अच्छे डौक्टर ।
पर बतलाते नहीं । कम से कम डौक्टर को इतना तो बतलाना हीं चाहिए कुछ साधारण केस में की यह किस गलती के कारण रोग हुआ हमको ताकी हम आगे गलती नहीं करें दुबारा  । अब वो बतला देंगें तो हमलोग सतर्क हो जायेंगें, आगे गलती नहीं करेंगें तो बिमार नहीं होंगे फिर डौक्टर की दुकान कैसे चलेगी ? इसलिए वो नहीं बतलाते हैं ।
ठीक उसी प्रकार आयुर्वेद है। ज्योतिष है। मैं अच्छे बढ़िया आयुर्वेदाचार्य और ज्योतिषाचार्य की बात कर रहा हुं, साधारण नहीं । तो ए लोग भी कारण को बहुत गहराई से जानते हुए भी नहीं बतलाते कि हमको आपको इसकी समझ नहीं ,  कन्फ्यूज हो जाऐगे हम आप , इसलिए ए लोग केवल उपाय बतला देंतें हैं हम उसको अपना कर ठीक हो जातें हैं ।
योग विज्ञान के जानने वालों की आज बाढ़ सी आ गई है ए सब अधकचडें हैं गली गली में मिल जायेगें इनसे सावधान रहने की जरूरत है इनको नहीं मालुम की कौन सा योगा क्या है और यह किस प्रकार कौन सी अंग में कितना प्रभाव डालता है । ठीक से नहीं मालुम पर विशेषज्ञ फिजियोथैरेपिस्ट , योगा के जानकार को मालुम है । श्री महाराज जी के कई शिष्य है जिनको गहराई से मालुम है । ब्रजगोपिका धाम में प्रताप भईया भी बहुत अच्छे जानकार हैं योगा के ।

श्री महाराज जी के एक शिष्य ने योग विज्ञान पर पुस्तक भी लिखा श्री महाराज जी के निर्देशन में और श्री महाराज जी ने २०१३ में उस पुस्तक का विमोचन किया । और श्री महाराज जी ने अपने हाथ से मुझे वो पुस्तक प्रदान किए , यह भी एक रहस्य है विना दिव्य कारण के श्री महाराज जी कोई काम नहीं करते । बाहर से देखने बाले को बहुत साधारण घटना लगता है पर उनके सभी १००% काम , लीला का बहुत बड़ा रहस्य होता है जो साधरणत: समझना मुश्किल है विरले समझ जातें हैं । पर साधारण जन समझते हैं कि श्री महाराज जी किसी को गले लगा लिया प्यार से लगा लिए होगें।
उसके पीठ पर हाथ फेर दिया तो लोग इसके गुढ़ रहस्य महत्त्व को नहीं समझ पाते। 
श्री महाराज जी कोई चुटकूला सुना दिय शेरों शायरी बोल दिय , कुछ मजाक कर दिए तो हमलोग भी खिलखिला के हस भर देते हैं पर उनके कृपा के उन बातों के दिव्य अर्थ के रहस्य ,महत्त्व को नहीं समझ पाते हैं । कोई विरले समझ जाते हैं विशेष कृपा से कारण उस जीव की जिज्ञासा , प्यास बलवती होती है जानने की तो उसको श्री महाराज जी उसके प्यास की मात्रा के अनुसार उसी जगह सब समझ दे देते हैं वो जीव चुपचाप समझ जाता है और गद्गद् हो जाता है । पर हम साधारण साधक केवल यह समझ लेतें है कि श्री महाराज जी आद्यात्मिक मनोरंजन किए है अपना प्यार लुटाने के लिए । इससे ज्यादा कुछ नहीं महसूस कर पाते । उनके हर लीला में प्रेम तो है हि पर बहुत गहराई बाला रहस्य है पर हमारी अत:करण में कचड़ा है इसलिए रहस्य रूपी प्रेम के गहराई को उस रूप में नहीं प्राप्त करते हैं और बात आई गई उड़ा देते़ हैं इसलिए उनके किसी भी ऐसी  लीला का चिंतन नहीं करते जिससे असली लाभ नहीं मिलता ।
अब कुछ लोग पुछेंगे की श्री महाराज जी उस राज को सबके सामने खोले क्यों नहीं तो हमारी स्थिति वैसी नहीं है , इसलिए नहीं खोले । रूपध्यान की साधना रूपी दबा और जरूरी तत्वज्ञान दिए ताकी इसको करके अंत:करण शुद्ध हो जाए । अब जैसे जैसे रूपध्यान परिपक्व होते जाएगा तो जो उनका लीला पहले देखा है या आज भी विडियो में जब देखेंगे तो असली बात समझ आ जाएगा ।

यह अंत:करण के स्थिति पर निर्भर है समझना ।
यह समझ सबके अपने अपने स्थिति के अनूसार हीं समझ में आता है उनकी कृपा से ।
पचास लोग हैं श्री महाराज जी के पास , श्री महाराज जी कोई छोटा सा लीला किए , चार पांच लोग समझ गए वांकी सब हंसने लगे और इतना ही सोंचे की श्री महाराज जी मजाक किए हैं । बस हो गया ।
इससे जयादा कुछ नहीं ।
तो आगे के गुप्त रहस्य बताने से पहले प्रिफेस जरूरी था जो इस पोस्ट में मैने लिखा । अब लंबा होने के कारण आगे इस पोस्ट का क्रमश: लिखुंगा । 
श्री राधे .......... (तो लोग जानना चाहते हैं अपना इंटरेस्ट शो करें कौमेंट में )।

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