" हरिगुरु का चिन्तन करो , चिन्ता मत करो

" हरिगुरु का चिन्तन करो , चिन्ता मत करो , तुम्हारी हरि चिन्तन तुम्हे देती है हमेशा , पर चिन्ता तुमसे लेती है हर पल , हमेशा याद करो हरि गुरु को , वो शक्तिमान हैं , तुम उनके शक्ति से चेतन हो , चिन्तन तुमको शक्ति देगी , तुम्हारे आत्मवल को बढाएगी , और चिन्ता तो तुम्हे शक्ति हीन हीं करेगी |
तुम अनु हो , वो विभु हैं | तुम्हारे पास लिमिटेड पावर है , उनके पास अनलिमिटेड.
तुम केवल सुकर्म करो और वो भी अर्पित कर दो उनको | फिर देखो कमाल ! क्यों तुम व्यर्थ चिन्ता करके अपने समय को , अपने आत्म वल को समाप्त करते हो | तुम्हारे चाहने से चिन्ता करने से कुछ भी नही होने वाला | जो उनको मंजूर है तुम्हारे लिय वही होगा | जो तुम्हारे प्रारब्ध में है वही मिलेगा | जो मिलना है मिलेगा , तुम हरिगुरु के समर्पित होकर उनके वताए हुए मार्ग पर चलो केवल |
कोई विमार हो गया तुम्हारे घर में , ईलाज कराओं , डॉ . के पास ले जाओ , पर चिन्ता मत करो , आयु होगी ठीक हो जाएगा | नही तो जाना होगा | तुम कुछ नही कर सकते , विल गेट्स भी कुछ नही कर सकता , बड़े से बड़े डॉ. के घर से भी लोग मरते है | वो कुछ नही कर सकता | फिर चिन्ता क्युँ ? चिन्ता चिता पर पहूँचा देती है शरीर को , आत्मा तो अमर है |
फिर दुसरा देह मिल जाता हैं उसके कर्मो के हिसाब से |
पर हरि चिन्तन , स्मरण , मनन् , हरिगुण गाण तुमको अनलिमिटेड पावर से जोड़ देती हैं |
तुम्हारा मन , बुद्धि , ज्ञान , दृष्टि , सोचने समझने की शक्ति सब लिमिटेड है |
अज्ञानता बस कुऐं के मेडक के समान तुम इस दुनिया को अपने नज़रिये से देखते हो और तुम इस संसार को सब कुछ मान लेते हो | ऐसे रमे हो संसार में की संसार का एडिक्टेड होकर घोर संसारी बन कर अपना मानव जीवन व्यर्थ गमा देते हों | गुरु में पूर्ण समर्पण , पूर्ण विस्वास , पूर्ण श्रद्धा युक्त होकर चिन्तन करो , संसार से माया से एडिक्सन समाप्त हो जाऐगा |
मेरी मानो चिन्ता छोड़ो हरि चिन्तन करो | लोगों कि मत सुनो , सुनो तो सिर्फ गुरु को , जानो , मानो , और गुरु के बताये मार्ग पर पूर्ण दृढ़ता से चलो , फिर देखो कमाल |
:- मां के प्रवचन से


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