हम सब माया बध्द् पतित जीव अपनी मनमानी करते है और हद् तो ऐ कि दोषा रोपन भगवान पर करते है ,
हम सब माया बध्द् पतित जीव अपनी मनमानी करते है और हद् तो ऐ कि दोषा रोपन भगवान पर करते है , कि वो सारे काम करते हैं , गलत फहमी मे रहते है कि सब उनकी इक्छा से होता है ,
भगवान ने हमे कर्म का चुनाव करने की अक्ल ( बुध्दि), कर्म करने की शक्ति और कर्म करने की स्वतंत्रता दे दी अनादिकाल से ही,
मनुष्य कि रचना करने के समय ही ,
मनुष्य कि रचना करने के समय ही ,
इसलिए वो कभी इन सब कार्यो में जैसे निर्णय लेने में , उसको करने में , कार्य को अंजाम देने में रुकावट नही बनते , क्युँकि भगवान बचन बद्ध हैं ,इसलिए वो किसी को नही रोकते टोकते , केवल कर्म के अनुसार फल देते है ,
और बाहें फैलाकर इंतजार करते रहते हैं कि कब ये मेरे तरफ आने का , मुझे पाने का निर्णय लेगा मन से . और चलेगा मेरी तरफ ,
और बाहें फैलाकर इंतजार करते रहते हैं कि कब ये मेरे तरफ आने का , मुझे पाने का निर्णय लेगा मन से . और चलेगा मेरी तरफ ,
तब वो हमारी सहायता करते हैं , सद्गुरु से मिलवा देते है पथ परदर्शक के रुप में खुद गुरु का रुप लेते हैं , फिर गुरु द्वारा बताए मार्ग को अपनाकर हम परफेक्ट शरेंडर करते है फिर हमारे सारे कार्य भगवान करते हैं , हमारा योगक्षेम वहन करते है और अपने आगोश में ले लेते हैं |
अत: भगवान तीन शक्ति ( कर्म का चुनाव और उसे करने की बुध्दि , और चुने हुए कर्म करने की क्षमता) केवल मनुष्य योनी को ही दिए है ( इसलिए मनुष्य योनी कर्म योनी और सर्वोत्तम योनी कहा गया है ),
अब यह हमारे उपर है कि हम क्या चाहते है , बुद्धि का उपयोग करके प्रभु के तरफ चलने का चुनाव करते है और उनको पाने के लिए व्याकुल होते है या माया के तरफ जाते हैं , और तो और दुर्बुध्दि के बस में आकर कुकर्म करने का चुनाव करते है या रजोगुण और तमोगुण के बस में आकर माया के एरिया वाला सतकर्म और दुश्कर्म चुनते है |
यह हम मनुष्यों पर निर्भर हैं | भगवान पर नहीं |
यह हम मनुष्यों पर निर्भर हैं | भगवान पर नहीं |
रात दिन हम देखते है कि कुछ लोग यहां तक की मंदिर की मुर्तियां चुराने का फैसला करते है , फैसला करके प्लान बना कर चोरी भी कर लेते है या अन्य गलत से गलत कार्यो को अंजाम देते रहते है और रोग , कष्ट , भयानक कष्ट मिलने पर भगवान को दोष देते है |
( साल भर खाए पाप रुपी माल पुआ - और सावन मे आकर पुछा कितना हुआ , दौडे मंदीर मंदीर , कभी इस ज्योतिष के यहा , कभी उस डौक्टर के यहां , कभी , गंगा मे डुवकी तो कभी कावंर लेके भोले नाथ के यंहा , तीर्थ करने निकले भयावह घटना घट.गई मिनटो में मारे गए , और फिर दोष भगवान को )
और कुछ भोले लोग कहते है कि भगवान क्युँ नही रोका ?
अरे कैसे रोकेगें भगवान तुमको , यह निर्णय तो तुमने लिया और अंजाम दिया , तुम्हारे लिए हुए निर्णय के कारण भगवान अपने विग्रह से हट गए और तुम अपने प्लान और निश्चय को अंजाम दिया |
और तुमने इस तरह भगवान के दिए हुए शक्ति का दुरुप्योग कर लिया | गलत फायदा उठाया |
अरे कैसे रोकेगें भगवान तुमको , यह निर्णय तो तुमने लिया और अंजाम दिया , तुम्हारे लिए हुए निर्णय के कारण भगवान अपने विग्रह से हट गए और तुम अपने प्लान और निश्चय को अंजाम दिया |
और तुमने इस तरह भगवान के दिए हुए शक्ति का दुरुप्योग कर लिया | गलत फायदा उठाया |
आगे वक्त आने पर फल मिलेगा , कुकर्म तुमने कर लिया अब इंतजार करो फल अवश्य मिलेगा , भगवान का कानुन हैं , वो तुरतं फल न देकर अपनी संविधान के अनुसार वक्त पर फल जरुर देते हैं , सब को दिखाकर नही , सबको सुनाकर नही , वो क्या कोइ नेता है संसारी जज है कि प्रेस कौनफ्रेंस बुला कर सबके सामने दडं देगें !
नही न , संसार मे भी फांसी या सजा तुरत नही मिलता वल्कि वक्त आने पर फैसला होता है |
नही न , संसार मे भी फांसी या सजा तुरत नही मिलता वल्कि वक्त आने पर फैसला होता है |
और भगवान को वकील पुलिस , गवाह कि जरुरत थोड़े ही है , वो तो हमारे ह्रदय में बैठ कर सब नोट कररहे है , वो अपने दिए बचन को नही तोड़ेगें |
वक्त आने पर, पाप का घरा भरने पर कुकर्म का , पाप का कठोर दंड अवश्य मिलेगा , कोइ न बचा, न बचेगा , उनसे ४२० सी नही चलेगी |
शिशुपाल गालियां देता रहा , भगवान मुस्कुराते रहे , न रोके और न टोके और १०० वां गाली पुरा होते ही सर धर से अलग एक झटके में , १०० वे गाली में पाप का घरा भर गया , पुण्य का घरा खाली हुआ और बस चक्र चला किस्सा तमाम .
और अर्जुण ने कड़ोड़ो मर्डर किए पर अर्जुण को पाप पुण्य छुआ तक नही , क्योंकि अर्जुण परफेक्ट सरेडंर था भगवान के , इसलिए उनके सारे कार्य भगवान के द्वारा हुआ |
वेद् , गीता , श्री मद्भागवत् प्रमाण है इसका |
पेड़ के पत्ते भी नही हिलते प्रभु के मर्जी के विना '
वो इसलिय की पेड़ पौधे परफेक्ट सरेंडर होते है प्रभु के , वो विनम्र होते है | पेड़ पौधे केवल परमार्थ के लिय शरीर धारण करते हैं इसलिय कहा पेड़ पौधे के सारे कार्य भगवान करते हैं
वो इसलिय की पेड़ पौधे परफेक्ट सरेंडर होते है प्रभु के , वो विनम्र होते है | पेड़ पौधे केवल परमार्थ के लिय शरीर धारण करते हैं इसलिय कहा पेड़ पौधे के सारे कार्य भगवान करते हैं
इसलिए केवल १००% शरणागत् जीव ही के सारे कार्यो का निर्णय और कार्य भगवान करते है , हम जैसे अधम, नीच , पतित , अभिमानी , अज्ञानी जीवो का नही |
राधे राधे श्री राधे
:- प्रवचन का सार @ राँची , मार्च २०११ , मां रासेश्वरी देवी
राधे राधे श्री राधे
:- प्रवचन का सार @ राँची , मार्च २०११ , मां रासेश्वरी देवी
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