महाराज जी के स्वरुप का वैशिष्ट्य क्या हैं ?
अब दुसरा प्रश्न :- महाराज जी के स्वरुप का वैशिष्ट्य क्या हैं | ( बहुत महत्वपुर्ण जानकारी या यु कहें कि तत्त्व दर्शन )
उत्तर युगल शरण महाराज जी द्वारा :- प्रथम वैशिष्ट्य - इस अवतार काल में निखिलदर्शनों का समन्वय हुआ है, जो इतिहास में कभी नहीं हुआ था | प्राच्य दर्शन के साथ पश्चात्य दर्शन , वैदिक दर्शन के साथ अवैदिक दर्शन , भौतिकवाद के साथ आध्यात्मवाद का अपूर्व समन्वय किसी अवतार काल में नहीं हुआ था |
दूसरा वैशिष्ट्य - राधा प्रेम ! जिससे श्री कृष्ण अपरिचित थे , इसलिए उनको गौर बनना पड़ा | गौरांग बनकर आए | उसी राधाप्रेम का आस्वादन महाप्रभु ने जगन्नाथपुरी के गंभीरा में किया और उसका आस्वादन करके वृन्दावन में अपने कुछ अनुयायियों जैसे रसिक हित हरिवंश , स्वामी हरिदास आदि को राधा प्रेम का सम्यक् दर्शन दिया | उसी राधा प्रेम को हम जैसे पतितों में वितरित करने के लिए प्रभु कृपालु रुप में अवतरित होकर हमे प्राप्त हुए | यह हमारे प्रभु श्री महाराज जी के स्वरुप का वैशिष्ट्य हैं -
(इस तत्व दर्शन का रहस्योदघाटन युगलशरण महाराज जी ने किया जिसके लिय हम सभी उनके चिर सनातन आभारी रहेंगें )
उत्तर युगल शरण महाराज जी द्वारा :- प्रथम वैशिष्ट्य - इस अवतार काल में निखिलदर्शनों का समन्वय हुआ है, जो इतिहास में कभी नहीं हुआ था | प्राच्य दर्शन के साथ पश्चात्य दर्शन , वैदिक दर्शन के साथ अवैदिक दर्शन , भौतिकवाद के साथ आध्यात्मवाद का अपूर्व समन्वय किसी अवतार काल में नहीं हुआ था |
दूसरा वैशिष्ट्य - राधा प्रेम ! जिससे श्री कृष्ण अपरिचित थे , इसलिए उनको गौर बनना पड़ा | गौरांग बनकर आए | उसी राधाप्रेम का आस्वादन महाप्रभु ने जगन्नाथपुरी के गंभीरा में किया और उसका आस्वादन करके वृन्दावन में अपने कुछ अनुयायियों जैसे रसिक हित हरिवंश , स्वामी हरिदास आदि को राधा प्रेम का सम्यक् दर्शन दिया | उसी राधा प्रेम को हम जैसे पतितों में वितरित करने के लिए प्रभु कृपालु रुप में अवतरित होकर हमे प्राप्त हुए | यह हमारे प्रभु श्री महाराज जी के स्वरुप का वैशिष्ट्य हैं -
(इस तत्व दर्शन का रहस्योदघाटन युगलशरण महाराज जी ने किया जिसके लिय हम सभी उनके चिर सनातन आभारी रहेंगें )
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