माया से छुटकारा मिल जाय ये उद्देश्य आप लोगों का रहा हैं |
माया से छुटकारा मिल जाय ये उद्देश्य आप लोगों का रहा हैं | और न रहा हो तो ये होना चाहिये | मनुष्य देह पाये , भारत में जन्म हो , और गुरु मिल जाय , और वो गुरु समझ में आ जाय , सब बात बन जाय और फिर भी हम अपना कल्याण न करें , तो इससे गुरु को दु:ख होता है, ये सेवा नही है सेवा का मतलब स्वामी को सुख देना है | किसी भी वाप को उसी संतान से सुख मिलेगा , जो संतान अच्छे आचरण वाली हो , जिसका स्वभाव सरल हो , दीन हो , नम्र हो , मधुर हो , जिसमें दैवी गुण हों , बाप को तभी सुख मिलेगा और संसारी बाप को भले ही न मिले लेकिन गुरु को तभी सुख मिल सकता है जब शिष्य भगवान की ओर चले , अच्छे गुण उसमे पैदा हों , लेकिन तुम लोगों के व्यवहार से हमको सुख नही मिलता , दु:ख मिलता है, ये बात तुम माइण्ड नही करते | नहीं सोचते अगर ये बात सोचो तो फिर हमको सुख देने का कार्य करो |
हमको सुख देने से दो लाभ हैं , एक तो हमको दु:ख नही मिलेगा , दुसरे तुम्हारा कल्याण होगा | अन्यथा तुम भगवान के आगे क्या जबाब दोगे |
सब कृपा भगवान ने की , तुमको गुरु मिल गय , तुम भगवान के धाम में आ गए , और फिर भी लापरवाही , आपस में लड़ते हो , कटु वाक्य वोलते हो , एक दुसरे पर दुर्भावना करते हो , सर्वनाश का यही सब कार्य है | गलती मान लो उसका जबाब न दो , मान लो तुम्हारे अन्दर कमियाँ हैं | संसार में भगवद् प्राप्ति से पहले ऐसा कोई भी जीव नही है , जिसमें कमी न हो , दोष न हों | तो जब मालुम है हमको कि हमारे अन्दर तमाम दोष हैं , तो कोई अगर कटु वाक्य वोल भी दे , तो इसका मतलब कि तुम अच्छे हो , और सब खराब हैं , एक तो इससे अपनी बुराई नही दिखाई पड़ेगी, फिर उसको ठीक करने की बात नही सोचोगे , दुसरे अहंकार बढ़ेगा और तीसरे इसी प्रकार सबमें कम्पटीशन होगा , द्वेष का | तो जहाँ राग आया , द्वेष आया , वहाँ हरि गुरु की भक्ति खतम , जीरो | घर छोड़ कर आना और मानव देह पाना , ये भगवान् का धाम पाना , ये सब व्यर्थ हो जाएगा और अपराधियों में नाम हो जायेगा कि नामापराध किया और वो भगवान् के धाम में | और तो और हम कृपालु के शिष्य हैं | घर छोड़ कर आय हैं ! साधना करते है ! सब जीरो बट्टा जीरो बराबर जीरो - श्री महाराजी ( प्रवचन , मनगढ़ धाम )
हमको सुख देने से दो लाभ हैं , एक तो हमको दु:ख नही मिलेगा , दुसरे तुम्हारा कल्याण होगा | अन्यथा तुम भगवान के आगे क्या जबाब दोगे |
सब कृपा भगवान ने की , तुमको गुरु मिल गय , तुम भगवान के धाम में आ गए , और फिर भी लापरवाही , आपस में लड़ते हो , कटु वाक्य वोलते हो , एक दुसरे पर दुर्भावना करते हो , सर्वनाश का यही सब कार्य है | गलती मान लो उसका जबाब न दो , मान लो तुम्हारे अन्दर कमियाँ हैं | संसार में भगवद् प्राप्ति से पहले ऐसा कोई भी जीव नही है , जिसमें कमी न हो , दोष न हों | तो जब मालुम है हमको कि हमारे अन्दर तमाम दोष हैं , तो कोई अगर कटु वाक्य वोल भी दे , तो इसका मतलब कि तुम अच्छे हो , और सब खराब हैं , एक तो इससे अपनी बुराई नही दिखाई पड़ेगी, फिर उसको ठीक करने की बात नही सोचोगे , दुसरे अहंकार बढ़ेगा और तीसरे इसी प्रकार सबमें कम्पटीशन होगा , द्वेष का | तो जहाँ राग आया , द्वेष आया , वहाँ हरि गुरु की भक्ति खतम , जीरो | घर छोड़ कर आना और मानव देह पाना , ये भगवान् का धाम पाना , ये सब व्यर्थ हो जाएगा और अपराधियों में नाम हो जायेगा कि नामापराध किया और वो भगवान् के धाम में | और तो और हम कृपालु के शिष्य हैं | घर छोड़ कर आय हैं ! साधना करते है ! सब जीरो बट्टा जीरो बराबर जीरो - श्री महाराजी ( प्रवचन , मनगढ़ धाम )
Comments
Post a Comment