भविष्य की चिन्ता

प्रश्न :- परमार्थ के पथ पर चलने वाले साधक को , क्या अपने भविष्य की चिन्ता करनी चाहिये ?
उत्तर ( श्री महाराज जी ) :- नहीं , क्योंकि जो कुछ प्रारब्ध में होगा वही उसे प्राप्त होगा | अगर व्यक्ति के प्रारब्ध में नहीं है , उसे अगर वह एकत्र करेगा तो कोई न कोई ऐसा बनाव बन जायेगा कि चुटकी में वह सब समाप्त हो जायेगा | 
परमार्थ के पथ पर चलने वाले को चिन्ता किस बात की | अगर कोई कहे कि भविष्य की चिन्ता नहीं करेंगें तो मर जायेंगे | यह कैसे हो सकता है ? जबकी वह भगवान् के शरणागत है , और शरणागत् का योगक्षेम भगवान् वहन करते हैं | 
तुम्हारी जिस वस्तु में सबसे अधिक आसक्ति हो , उसी को भगवान् को अर्पण कर दो | इससे तुम्हारी आसक्ति कम हो जायेगी | आसक्ति ही भगवत्क्षेत्र में बाधा डालती है | तुम्हारी आसक्ति किसमें है , यह जानने के लिये चिन्तन द्वारा पता लगाओ, तत्पश्चात् उस वस्तु का समर्पण कर दो | 
गुरु की शरणागति और कृपा से ही सब कुछ संभव है |

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