श्री कृपालुजी महाराज।

भारत के इतिहास में वो अलौकिक घटना‌ पहली‌ बार घटित हुआ है जब हिन्दू धर्म का सर्वश्रेष्ठ पीठ , सर्वोच्य धर्म पीठ , सर्वश्रेष्ठ धर्मसभा ने श्री कृपालु जी महाराज जी को सर्वश्रेष्ठ जगद्गुरु एक सुर से घोषित करके बाबा विश्वनाथ की नगरी को ही नहीं वल्कि तमाम हिन्दू धर्म पीठ को गौरवान्वित किया । सनातन धर्म को गौरवान्वित किया है , प्रतिष्ठित किया है । यह घटना इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षरो में दर्ज है । 

जो जीव ऐसे परम गुरू पर पुर्ण श्रद्धावान है अटल है , अनन्य है , इनसे ह्रदय से प्रेम करता है , केवल इनको अपना ह्रदय सम्राट मानता है , उसका तो बेड़ा पार है । अरे हर तरह से उसका कल्याण हो जाता है चाहे वो आध्यात्मिक हो या भौतिक। लेकिन पुर्ण श्रद्धा विश्वास के साथ साथ 100% रियलाईजेशन एवं समर्पण की भी आवश्यकता है एवं इनको छोड़ कर किसी दुसरे का अबलंब न ले तब यह होता है । वो धुक धुक धुक वाले को कोई लाभ नहीं होता है । 
आज किसी का बात सुन लिया तो हां हां मान लिया ,‌विश्वास हो गया , फिर कल डाउन , फिर परसों हां हां , तरसो डाउन ।‌ तो ऐसे का कोई लाभ कभी नहीं । जो हर हाल में यानि आंधी हो या तुफान दृढ़ होकर पकड़े है इनको , उसकी नैया भयानक तुफान भी नहीं रोक सकता है , ऐसा दावा है हमारा । शर्त यह कि केवल इन्हीं को अपना सर्वस्व रियलाईजेशन हर क्षण करना होगा । 

कोई अन्य संसारिक लोग अगर थोड़ा भी बुद्धि रखता है तो उन्हें समझना चाहिए कि चलो संसारिक दृष्टि से भी अगर सोंचों आपलोग तो इनके जैसा विद्वान , तत्वज्ञ , महापुरूष किसी युग में नहीं हुआ जिनको कि काशी के पांच सौ अति विशिष्ट विद्वान धर्माचार्य , शास्त्र वेद में अति पारंगत , उच्च कोटि के तत्वज्ञ आचार्यों ने हर तरह से जांच परख करके , ठोक बजा कर , हर तरह से कठीन से कठीन प्रश्न करके इनसे , तथा उसका ऐसा उत्तर इनसे ऐसा प्राप्त किया कि दंग रह गए सभी के सभी । और सभी इनका अलौकिक ज्ञान देखकर मंत्र मुग्ध हो गए । तत्पश्चात सभी ने एक सुर से इनको सहर्ष रूप से न केवल इनको जगद्गुरुओं में सबसे श्रेष्ठ वल्कि भक्ति योग रसावतार , वेदवाक्य पारावरिण , सतसंप्रदाय प्रतिस्थापनाचार्य, भक्तियोगरसावतार यानि भक्ति का महारसावतार यानि भक्ति महाभाव का अवतार घोषित कर दिया । सोंचिए जरा गहराई से कि इनको अवतार ही नहीं वल्कि महावतार कहा काशी हिन्दू धर्म पीठ के पांच सौ तत्वदर्शियों ने हर प्रकार से इनको परख के । 

इतिहास में आज तक इस घटना को छोड़ कर न दुसरा कभी घटा है और न जाने फिर कभी घटेगा या नहीं इस चतुर्युग में फिर कभी । 

तो हमारे श्री महाराज जी जैसा तो कोई नहीं , यह तो सर्वविदित है । यह पुर्ण विश्वास के साथ सभी को स्वीकार करना ही होगा तथा सभी के लिए नतमस्तक होने वाली बात है । 
लेकिन एक बात और परम सत्य है कि ऐसा गुरु किसी अति भाग्यशालियों को ही मिलता है , फिर उसमें भी जो परम सौभाग्यशाली है वो अनन्य हो पाते हैं , इनके चरणों में टिक पाते हैं और धन्य हो जाते हैं सदा के लिए । 
:- संजीव कुमार

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