भगवान को सिर्फ अपनी आंखों से देखना भगवद् प्राप्ति नहीं है ,
श्री कृपालु जी महाप्रभु :- भगवान को सिर्फ अपनी आंखों से देखना भगवद् प्राप्ति नहीं है , अरे देखा तो है उनको अनेकों बार हमलोगों ने ! लेकिन माना नहीं कि ये भगवान है । क्योंकि तत्वज्ञान नहीं था उस समय आपलोगों के पास । इसलिए उनको हमलोगों ने नहीं पहचाना ।
नरसिंह अवतार , रामावतार , कृष्णावतार, अनंत अवतार के समय भी हमलोग थे , भगवान के अनंत अवतार हुए हैं और हमारा भी अनेकों जन्म हो चुका है ।
हमलोग नृसिंह अवतार काल में भी जन्म लिए थे , रामावतार काल में भी हम थे , कृष्णावतार में भी हमलोग पैदा हुए थे , जन्म लिए थे , उनको देखा , उनको छूआ , उनसे बातें भी की हमने, लेकिन समझ नहीं पाय कि ये भगवान हैं । हां है कोई सिद्ध पुरुष, बहुत से बहुत महापुरूष हैं केवल ऐसा माना ।
क्योंकि तत्वज्ञान का आभाव था । इसलिए उनको पहचान नहीं पाए , उनको समझ नहीं पाय , उनको जान नहीं पाय ।
इसलिए तत्वज्ञान सबसे अधिक महत्वपूर्ण है ।
अत: तत्वज्ञान जिसको ठीक ठीक समझ में आ गया , अपने मस्तिष्क में बैठा लिया , उसे 99.9% भगवद् प्राप्ति हो चुकी । अब कभी यह शरीर छुट गया तो उसे फिर से मानव शरीर मिल जाएगा । और फिर वो भगवान को देख लेगा अगले मानव जन्म में तो वो भगवान को पहचान लेगा , बस हो गई उसको भगवद प्राप्ति।
वर्णा आज अगर भगवान भी आपके बगल में आकर बैठ जाएं किसी भी रूप में तो आप उन्हें पहचान नहीं पाएंगे ।
अत: तत्वज्ञान सबसे प्रमुख है , तत्वज्ञान के बिना भगवान को जानना पहचानना असंभव है, प्राप्ति तो बहुत दुर कि बात है ।
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