संसार में अगर कोई भी मनुष्य यह समझता है कि मुझसे लोग खुश हैं , मुझसे लोग प्यार करते हैं तो यह एक कोरा भ्रम है ।

श्री महाराज जी :- संसार में अगर कोई भी मनुष्य यह समझता है कि मुझसे लोग खुश हैं , मुझसे लोग प्यार करते हैं तो यह एक कोरा भ्रम है । 
अगर आपको लगता है कि यह भ्रम नहीं है आप भी एक बार आजमा कर देख लीजिए । 
किसी के मन खिलाफ कुछ बात बोल दीजिए , उसके मन के खिलाफ कोई काम करके देखिए , कैसे वो रियेक्ट करता है चाहे वो आपका पति हो ,‌ पत्नी‌ हो , बेटा हो, बेटी हो या कोई भी दोस्त, रिस्तेदार हो !

अप्रैल फुल लोग बनाते हैं न , सुबह सुबह एक के तकिए के निचे दुसरे स्त्री का लव लेटर रख दिया एक ने एक अप्रैल को , वो उसके पत्नी को मिल गया , फिर वो घमासान , प्यार खत्म । 
अरे कोई अप्रैल फुल बना दिया तुमको, आज एक अप्रैल है न । अरे हां आज तो एक अप्रैल है , मैं भी कितना बुद्धू बन गया । किसी ने सचमुच बदमाशी कि है , फिर विश्वास हुआ, तब जाकर मामला शांत हुआ । 

जिसको आप समझते हैं कि वो आपसे बहुत प्यार करता है , आप भी उसके मन के विपरित कोई काम झूठ मुठ का कर के एक बार देख लिजिए ।
आपको पता चल जाएगा कि वो आपसे कितना प्रेम करता है ! 
ये जो आपलोग आई लव यू बोलते हैं न वो सब एक धोखा है । झूठ है , आपका जिससे स्वार्थ पुरा हो रहा है उसको आई लव यू वोलते है आप , वो आपके मन के खिलाफ काम कर दे तब वो आई लव यू कहां चला जाता है आपका ??
संसार में किसी के मन के अनुसार चलो तो वो खुश और अगर मन के विपरित एक वाक्य भी बोल दिया तो तुरंत मुड औफ । करने पर तो बड़े बड़े रिश्ते खत्म हो जाते हैं । 
अरे लोग मडर तक कर देते हैं अगर स्वार्थ के विपरित कोई बड़ा काम कर दिया तो । 

बाप बेटे को बुला कर कहा हम तुमको अपनी प्रोपर्टी में से एक पैसा नहीं देंगे, , सब दान कर देंगे , फिर देखिए बाप बेटे का प्रेम , मां बेटे का प्रेम । तो यह संसार का प्रेम स्वार्थ पर आधारित है, स्वार्थ पुरा हो रहा है तो आप अच्छे हैं और जरा सा स्वार्थ कि हानि हुई तो रिश्ता खत्म , चाहे भाई भाई हो बहन भाई हो , पति पत्नी हो , बाप बेटा हो ।‌

यह दिमाग में बैठा लो कि संसार में कोई भी किसी दुसरे के सुख के लिए काम नहीं करता , कोई किसी से सच्चा प्रेम नहीं करता है , सब अपना अपना स्वार्थ चाहते हैं । जबतक स्वार्थ कि पूर्ति हो रही है प्रेम है , स्वार्थ खत्म प्रेम खत्म । चाहे वो कितना बड़ा प्रेम करने बाला प्रेमी हो , पति पत्नी हो , बाप बेटा हो , भाई बहन हो , कोई भी रिश्ता हो ।

 अनंत मानव देह गवां दिया आप सबने इस संसार से प्रेम करने में , लेकिन किसी को आज तक विशूद्ध प्रेम, सुख , शांति , आनंद नहीं मिला । क्योंकि संसार में निश्वार्थ प्रेम, स्थाई प्रेम तथा प्रतिक्षण बढ़ने वाला प्रेम और आनंद हैं हीं नहीं । 

जो प्रेम , सुख और आनंद संसार के प्रत्येक जीव को चाहिए , आप सबको चाहिए वो केवल भगवान के पास , गुरू के पास है 
अगर आप अपना कल्याण चाहते हैं तो केवल हरि गुरू से प्रेम करना होगा, उनसे रोकर उस दुर्लभ दिव्य प्रेम कि भिक्षा मांगनी होगी ।‌। :- श्री महाराज जी ।

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