हमारे गुरूदेव श्री महाराज जी के लिखे पद् को रूपध्यान युक्त होकर भावयुक्त ह्रदय से भजन शुरू करते हीं आध्यात्मिक ( दैविक ) , दैहिक तथा भौतिक तीनों तापों का समन एक झटके में हो जाता है । इतनी कृपा-शक्ति है उनके रूपध्यान युक्त पद को दिल से गाने में , निष्काम आर्त पुकार में ।
हमारे गुरूदेव श्री महाराज जी के लिखे पद् को रूपध्यान युक्त होकर भावयुक्त ह्रदय से भजन शुरू करते हीं आध्यात्मिक ( दैविक ) , दैहिक तथा भौतिक तीनों तापों का समन एक झटके में हो जाता है । इतनी कृपा-शक्ति है उनके रूपध्यान युक्त पद को दिल से गाने में , निष्काम आर्त पुकार में ।
जिस दिन मैं अपने अत्यधिक कठीन दैनिक कर्म ( कठीन संसारिक वर्क लोड ) के बाद घर लौटता हुँ तथा अत्यधिक शारीरिक एवं मानसिक थकावट महसूस करता हुँ तो शाम में उनका रूपध्यान युक्त पद् संकीर्तन करने के बाद सारी थकावट पल भर में गायब हो जाती है । और बिना कहे वो हर प्रकार से रक्षा करते हुए दुसरे दिन पिछले दिन के अनसुलझे कठीन समस्या का हल हेतू प्रेरणा देकर ऐसे हल सूझा देते हैं जैसे असंभव सा लगने वाला एसाइनमेंट स्वत: सिद्ध हो गया हो ।
चाहे कैसा भी कठीन प्रश्न ( आध्यात्मिक या भौतिक ) हो वो हल सूझा हीं देते हैं , जरूरत है उनके रूप का गहन ध्यान ( उनके सिर से लेकर चरण रज तक का गहन ध्यान) करने कि तथा उन पर पूर्ण श्रद्धा और विश्वास की ।
और सबसे बड़ी बात कि उनके प्रेम का हर रोज उत्तरोत्तर एक नया आभास होता है । श्री महाराज जी इस धरा धाम पर प्रत्यक्ष भगवान श्री राधाकृष्ण थे , और अब सदा हम लोगों के ह्रदय में रहते हैं । हर वक्त ऐसा एहसास होता रहता है कि हमारे सिर के उपर एक दिव्य शक्ति का हाथ है , एक अद्वितीय गार्जियन हमारे साथ है , इति रक्षति , रक्षा कवच हैं , हरिगुरू कृपा सदा सबहीं पर ।। श्री राधे ।। ऐसे हैं हमारे गुरू देव ।।
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