****** सेवा कि योग्यता *******
******* सेवा कि योग्यता *******
श्री महाराज जी :- सुकरात एक फिलॉसफर हुआ है, उसका शिष्य था डायोज़नीज़, उसके पास सिकन्दर बादशाह गया और उसने कहा महाराज! कुछ हमारे लिए सेवा बताइये। तो डायोजनीज ने कहा, हट! धूप छोड़ दे! सेवा करेगा यह। है क्या तेरे पास फटीचर दरिद्री ? तू क्या सेवा करेगा? मेरी सेवा करेगा? मेरी सेवा करना है तो दे स्प्रिचुअल हैपीनेस। है तेरे पास? नहीं वो तो नहीं है। फिर क्या सेवा करेगा तू? रसगुल्ला खिलायेगा मुझे ! इसके लिये मैं बाबा जी बना हूँ क्या ? अरे भाई कोई गरीब पैसा माँगने जाये तो उसको पैसा चाहिए। कोई बुद्धि माँगने जाय उसको ज्ञान चाहिए। हमको स्प्रिचुअल हैपीनेस चाहिए और तू दान करने का स्वांग रचकर के मेरे पास आया है। क्या देगा तू तो खुद भिखारी है !
तुम क्या सेवा करेगा भगवान का , गुरू का ?
सेवा के लिए योग्यता चाहिए, है वो योग्यता तुम्हारे पास ?
सेवा क्या होता है मालूम भी है तुमको ?
संसार में भी प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति यहां तक एक कलक्टर का भी चपरासी बनने के लिए अनेकों परीक्षा और इंटरव्यू होती है, योग्यता सिद्ध करनी पड़ती है , लाखों में किसी एक को चपरासी ( सेवा ) के लिए सेलेक्ट किया जाता है ।
और भगवान और महापुरुषों की सेवा ?
और भगवान का गुरू की सेवा मिलेगी उनसे तब न सेवा करोगे तुम । अपने मन से किया गया सेवा कोई सेवा नहीं है । स्वामी कि इच्छा से किया गया सेवा ही केवल सेवा है ।
अभी तो साधना करो ,साधना करनी पड़ेगी , चाहे इस जन्म में करो या अगले दस जन्म में , रूपध्यान साधना सबके लिए कंपल्सरी है जबतक भगवद् प्राप्त नहीं हो जाती तबतक , रो कर उनको पुकारो , सेवा का भीख मांगो उनसे , जब मन शूद्ध हो जाएगा तब वो अपनी सेवा देंगे , सेवा मिल जाने के बाद फिर साधना कि कोई आवश्यकता नहीं है । :- श्री महाराज जी ( पुस्तक - गुरू सेवा )
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