क्रियामाण कर्म किन दो कारणों से प्रभावित होतें हैं ?
श्री महाराज जी से प्रश्न - क्रियामाण कर्म किन दो कारणों से प्रभावित होतें हैं ?
श्री महाराज जी का उत्तर - संगतिवश एवं संस्कारवश । यानि हम जीव मन से जिसका संग करेंगें , और हमारे संस्कार से हमारा क्रियामाण कर्म प्रभावित होता है , इसलिए कहा गया है गलत संगति से तथा कुसंग से वचना और हरिगुरू में मन लगाना नितांत आवश्यक है । :- श्री महाराज जी ।।
याद रखें दुर्योधना - कौरवों को शकुनी जैसे कि संगति तथा धृतराष्ट्र और गांधारी का दिया संस्कार काल के गाल में भेज दिया ।
कैकई को मंथरा कि संगति के कारण अपने पति के दृष्टि में नीचे गिरना परा था ।
अत: जबतक शकुनी और मंथरा जैसे चरित्र का संगति रहेगा,जीव का प्रवृत्ति आसुरी हीं रहेगा ,चाहे कितना भी ज्ञान विज्ञान तथा तत्वज्ञान प्राप्त हो जाए । इसलिए संगति अच्छी होनी चाहिए। अच्छी संगति और बढ़िया संस्कार बहुत आवश्यक है भगवद् मार्ग में आगे बढ़ने के लिए हीं नहीं अपितु संसार में शांति सकुन से जीवन बसर करने हेतु । आजकल का मां बाप अपने स्वयं के उपर तथा अपने बच्चे के ऊपर इन बातों पर ध्यान नहीं देते ।
आजकल के स्कूल कौलेजों में भी इन दोनों का आभाव है ।
ब्रजगोपिका सेवा मिशन इन्हीं कमियों को पुरा करने के लिए युवा शिविर तथा बाल शिविर का आयोजन करता है , लेकिन लोग इसका महत्त्व नहीं समझते ।
अधिक से अधिक अभिभावकों को अपने बच्चों को प्रेरित करना चाहिए इनमें भाग लेने के लिए । तभी कल्याण सुनिश्चित हो सकता है अन्यथा नहीं । श्री राधे
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