कोई ग्रह , कोई शनी , कोई बुध , कोई राहु , केतु , कोई मंगल हमारा अमंगल नही करता है | हमारा अपना कर्म- कुकर्म , अपने द्वारा किया धर्म - अधर्म जब हाथ धोकर कभी शनी बन कर तो राहु , केतु बन कर हमारे पीछे पीछे पर के फल के रूप में हमे दुख के भंवर में धकेल देता है
कोई ग्रह , कोई शनी , कोई बुध , कोई राहु , केतु , कोई मंगल हमारा अमंगल नही करता है | हमारा अपना कर्म- कुकर्म , अपने द्वारा किया धर्म - अधर्म जब हाथ धोकर कभी शनी बन कर तो राहु , केतु बन कर हमारे पीछे पीछे पर के फल के रूप में हमे दुख के भंवर में धकेल देता है तो हम लगते है बाप बाप करने और दौड़ने लगते हैं मंदिर मंदिर , ज्योतिषों के यहां , कर्मकाण्डी पण्डितों को यहां, पाखंडियों के यहां और फिर गंभीर रुप से ठगे जाते हैं | कोई ज्योतिष , कोई पण्डित , कोई चढ़ावा किसी भी मंदिर में , हां नोट कर लिजिए , कोई भी चढावा हमारे दुर्भाग्य को सौभाग्य में नही बदल सकता और न बदला है | न बदलेगा | भगवान घुसखोर नही हैं | अपने किये गय कुकर्मो को मिटाने के लिये भगवान को खड़िदने का भ्रम न पालें |
हम गुनाह करेंगें तो उसका सजा निश्चित है | भगवान या कोई वास्तविक संत आपके पाप को मिटा नही सकता है | यह भगवान का कानून है | वह अपने कानून को खुद भी नही मिटा सकते | सामर्थ्य है परन्तु कदापी नही मिटाऐगें |
यह गाना गाने से नही चलेगा कि - मां मुरादे पुरी करदे हलुआ बाटुंगी | मूर्ख है जिसने ये गाना बनाया और उससे भी बड़ा मूर्ख है जो ऐसे गानों को गाता है |
बदलना है तो अपने कर्मों को , अपने सोंच को , अपने व्यवहार को ठीक करिये , संकल्प करिए भगवान को साक्षी मान कर की हे प्रभु हम अब आपके शरण में है | वास्तविक ह्दय से मन से सदा के लिय अपने को , खुद को आपके चरणों में समर्पित करता हूं | और फिर दुबारा कभी गलत बात न करें न सोंचें | सब ठीक हो जाएगा | बुरे कर्मो का भोग समाप्त हो जाएगा थोड़ा भोगने के बाद | आप सजा भोग लेगें फिर सब ठीक हो जाएगा , वर्ना कुछ भी ठीक नही हो सकता |
भगवान अपने बनाए कानून में स्वयं बंधे हैं | उन्होने अपने पिता दशरथ को नही बचाया , भांजे अभिमन्यू को नही बचाया तो हम आप कितने पाप करके बैठे है अनंत जन्मों में खुद नही जानते |
केवल वास्तविक संत का शरणागति ही एक रास्ता है | वर्ना जबतक पूर्व जन्म का पुण्य पुँज है | सब मिलेगा | पाप करते करते पुर्व जन्म का पुण्य पुँज समाप्त फिर हो जाओगे भिखारी रातो रात , कोई पण्डित , ज्योतिष , ज्ञानी , विज्ञानी , तंत्र , मंत्र , गंगा स्नान , तिरथ वीरथ , तप , जप , पुजा पाठ , यज्ञ , हवन काम नही देगा |
हमारा पाप ही जब खुद शनी , राहु केतु बन कर जब खड़ा हो जाएगा तो कोई शनी मंदीर में तेल वेल , दीया दीपक कितना जला लें , कुछ काम नही देगा |
कितना मुर्ख कुछ लोग होते हैं खुद देखे , मृत्यु शैया पर पड़े हैं तो उसको बचाने के लिय महामृत्युंजय जाप करवाने के लिय बोलते है | जबकी महामृत्युंज्य मंत्र का मतलब है पढ़ीय अन्तिम पंक्ति मंत्र का :-
ऊरुवारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मोक्षीयमामृतात्
यानी हे प्रभु हमे जन्म मरण के चक्कर से मुक्त करो और मौक्ष दो
यानी मरते हुये को शरीर से छुटकारा दिला कर हमेशा के लिय जन्म और मृत्यु के चक्कर से मुक्त कर दो '
यह मंत्र यह कही नही कहता की हे प्रभु इसको स्वस्थ् करके जीवन दान दो |
तो जरा सोंचिये कितने मुर्ख पण्डित लोग है | ज्योतिष लोग है जो खुद मंत्र के अर्थ तक को नही जानता | तो वो क्या कल्याण करेगा हमारा |
अत: एकमेव रास्ता है | अपने पापो का प्राश्चित , और भगवान से माफी मांगते हुए उनकी या उनके जन और उनके वास्तविक संतो की शरणागति , अहंकार का त्याग , और कभी दुबारा पाप न करने का संकल्प , केवल यही एक रास्ता है जो आपके दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकता हैं |
भगवान का खुला कथन है सुन्दर काण्ड में कि
निर्मल जन मन सोही मोही पावा
मोही कपट छल छिद्र न भावा |
और यही कारण है कि विपत्ति आने पर हमको शिक्षा देने के लिय सुन्दरकाण्ड पढने के लिये कहा जाता है कि हम इस चीज को समझे और अपनावे वरना केवल पाठ करते रहो कुछ नही बदलेगा| :- संजीव कुमार ( पूज्यनीयां रासेश्वरी देवी का रांची प्रवचन 2011 को सुन कर लिखा गया मेरे द्वारा )
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