स्वर्ग के देवी देवता लोग अपने पुण्य के तेज के बल पर भगवान के धाम जाकर उनसे मिलते हैं , उनका दर्शन कर लेते हैं, उनसे बातें कर लेते हैं और जैसे जैसे उनका पुण्य खर्च होता है वैसे वैसे उनकी आयु क्षीण होती जाती है और एक दिन सभी पुण्य समाप्ति के बाद उनको फिर से धरती पर निकृष्ट योनियों में भेज दिया जाता है भगवान द्वारा ।
स्वर्ग के देवी देवता लोग अपने पुण्य के तेज के बल पर भगवान के धाम जाकर उनसे मिलते हैं , उनका दर्शन कर लेते हैं, उनसे बातें कर लेते हैं और जैसे जैसे उनका पुण्य खर्च होता है वैसे वैसे उनकी आयु क्षीण होती जाती है और एक दिन सभी पुण्य समाप्ति के बाद उनको फिर से धरती पर निकृष्ट योनियों में भेज दिया जाता है भगवान द्वारा ।
वहीं मनुष्य की आयु उसके पाप से घटता जाता है । जैसे जैसे पाप करता है उसकी आयु क्षीण होती जाती है। फिर पाप का जब आधिक्य हो जाता है भगवान उसका शरीर छिन लेते हैं , वहीं समय मनुष्य मान लेता है उसके जाने का था । कौन भगवान से सवाल कर सकता है कि उसका उम्र कितनी थी ?
सुनहु भरत भावी प्रबल बिलखि कहेउ मुनिनाथ।
हानि लाभु जीवनु मरनु जसु अपजसु बिधि हाथ॥171॥
भावार्थ:-मुनिनाथ ने बिलखकर (दुःखी होकर) कहा- हे भरत! सुनो, भावी (होनहार) बड़ी बलवान है। हानि-लाभ, जीवन-मरण और यश-अपयश, ये सब विधाता के हाथ हैं॥171॥
है कोई ऐसा ज्योतिष भी इस संसार में , बता सके किसी की उम्र कितनी है । असंभव । ज्योतिष शास्त्र भी वैदिक ग्रंथ है , क्या कोई ऐसा ज्योतिष हुआ इस संसार में जो किसी का उम्र बताया हो? क्यों नहीं बता सका ? क्योंकि जीवन मरण , जन्म का समय और आयु सब भगवान के ऊपर है । कोई फिक्स नहीं । फिक्स रहता तो ऐसा ज्योतिष हुआ होता किसी भी युग में की वो किसी का आयु बताया होता , रावण जो सबसे बड़ा ज्योतिष था , वो अपना आयु नहीं जान सका ।
जब भगवान राम के द्वारा मृत्यु पाया वहीं समय कहलाया उसका समय , तो समझने का फर्क है ।
वो कोई मुगालते में ना रहे की हम पाप करेंगे , झूठ बोलेंगे , कुकर्म करेंगे , मांस मदिरा खाएंगे , बलात्कार करेंगे , डाका डालेगे, दुसरे को लुटेंगे , आतंकवादी बनेगे , निर्दोष लोगों को मारेगें और बचे रहेंगे , भगवान हाथ पर हाथ धर के बैठे रहेंगे, ।
अपनी उम्र पर हीं मरेंगे, उससे पहले नहीं । इस तरह का गलतफहमी पाल के लोगों में भ्रम ना फैलाएं ।
गलत लोगों को और गलत कर्मो़ को बढ़ावा देना गलत बात है ।
ऐसा कुछ नहीं होता , भगवान प्रत्येक जीव के अंतःकरण में बैठ कर उसके सभी संकल्पों को नोट करते हैं और तदानुसार फल देते हैं । वो जब जिस समय किसी का शरीर छीनने का हुक्म सुना दे काल को , काल का हिम्मत नहीं की उनसे सवाल कर दे कि इसका समय नहीं आया है ।
ऐसा सोचना भोलापन है , अज्ञानता है पाप कर्मों को बढ़ावा देना है ।
अरे भईया , मनुष्य का उम्र सौ बर्ष की आंकी गई है कलयुग में, आंकने का मतलव अंदाजा लगाना , अनुमान करना , और जब कोई पहले मर जाता है उसी को आकाल मृत्यु कहते हैं संसार में लोग इसलिए संसार के दृष्टिकोण से अकाल मृत्यु होती है ऐसा मानते हैं लोग ,पर भगवान जब शरीर छीन ले वही नियत समय हो गया ईश्वरीय राज्य में , भगवान के लिय नियत काल क्या और नियत समय क्या , लोग नहीं समझ पाते श्री महाराज जी के प्रवचन को , स्पष्ट उन्होंने कहा है, उन्होंने कहा है जहर कोई खा ले, मरेगा हीं , जहर अपना काम करेगा हीं , ऐसा ना सोचें की हमारा आयु है , नासमझी है अपनी । कोई शंकर जी तो नहीं कि हलाहल पी लें और बचा रहें ।
उम्र किसी के पाप पुण्य पर निर्भर करता है वो पाप पुण्य पुर्व जन्मों का भी होता है और मनुष्य के क्रियामान कर्मों द्वारा भी निर्धारित होता है , पाप का घड़ा जिस समय भर जाए भगवान शरीर छीनने का हुक्म सुना देते हैं वो जिस समय सुना दे उस समय वो मर जाता है तो लोग तो कहेंगे हीं कि उसकी उम्र उतनी हीं थी । कौन देखा है उसकी उम्र कितनी लिखी है भगवान ने और पहले और बाद में क्यों मार दिया । वो कर्तुम अकर्तुम अन्यथाकर्तुम हैं , जब जिस समय जो चाहे करें उनकी मर्जी ।
श्री महाराज जी के एक पुस्तक या एक छोटा विडियो के प्रवचन से अगर हमलोग समझ जाते सबकुछ तो फिर क्या जरूरत महापुरूषों को इतना मेहनत करने कि उम्र भर इतना लेक्चर देने कि और इतना पुस्तकों की रचना करने की ।
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