क्या मूर्ति पूजा से कोई लाभ मिल सकता है?
प्रश्न उत्तर : ६ : क्या मूर्ति पूजा से कोई लाभ मिल सकता है?
उत्तर - हॉ-हा! पूजा करो। कुछ करो, लेकिन प्यार से प्यार लक्ष्य रहे, कर्म नहीं। अब देखो, मंदिर का पुजारी पूजा करता • लेकिन लक्ष्य क्या है? भगवान नहीं है उसका लक्ष्य। है, उसका लक्ष्य है- कौन क्या चढ़ावा देता है। तो इन्द्रियों के कर्म का फल नहीं मिलेगा।
प्रश्न ७ : मूति पूजा में यह problem रहता है कि इन्द्रियों का work बहुत रहता है, जैसे कपड़ा पहनाना, प्रसाद खिलाना आदि। यह भी danger कि ये सब करते-करते मन का ही attachment छूट जाए और केवल इन्द्रियों से मूर्ति पूजा हो ?
उत्तर : नहीं, जैसे अपने बच्चे के लिए कपड़ा बनाते हो, स्वेटर बनाते हो तो प्यार तो रहता ही है उसमें। अपने बच्चे में attachment है और स्वेटर बन रहा है। और एक ऐसा होता है कि पचीस रुपया हमने दे दिया स्वेटर बनाने वाली को और कहा- स्वेटर बना दो हमारे बच्चे के लिए। स्वेटर दोनों का एक-सा है, लेकिन फर्क यह है कि तुमने प्यार से बनाया और उसने पैसे के लिए बनाया, इतना अंतर है। तो इसलिए अपनी-अपनी रुचि के अनुसार करना है सबको इसमें कोई प्रतिबंध नहीं रखा शास्त्र वेद ने। और सबसे बढ़िया मन से है , न मूर्ति रखो, न photo रखो, केवल मन से भगवान के रूप का ध्यान करो ,उनको रो कर पुकारो, दर्शन कि लालसा हो , मिलन कि व्याकुलता हो तो वो सबसे उत्तम है । और केवल मूर्ति का पुजा करो, मूर्ति में भगवान है यह भावना मन में न हो, विश्वास में दृढ़ता न हो, हृदय में, मन में उनसे निष्काम प्रेम न हो, तो फिर ऐसे मूर्ति पुजा का, दर्शन का कोई लाभ नहीं है । :- श्री महाराज जी 🙏❤️🙏
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