प्रश्न ९ : जब आत्मा शरीर छोड़ती है, तो सूक्ष्म शरीर धारण करती है, क्या वह सूक्ष्म शरीर में थोड़े दिन के लिए रह सकती है या तुरन्त स्थूल शरीर धारण करना पड़ता है?
प्रश्न ९ : जब आत्मा शरीर छोड़ती है, तो सूक्ष्म शरीर धारण करती है, क्या वह सूक्ष्म शरीर में थोड़े दिन के लिए रह सकती है या तुरन्त स्थूल शरीर धारण करना पड़ता है?
उत्तर नहीं, वह हजार युग रहे। रहने को क्या है! सूक्ष्म शरीर तो सदा है सब आत्माओं के, तुम्हारे भी हैं। स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर, कारण शरीर- तीन शरीर होते हैं। और इन तीन शरीरों को पार कर जाए, तो दिव्य शरीर मिलता है। गोलोक, वैकुण्ठ लोक, भगवान का लोक। तो सूक्ष्म शरीर तो already सबके हैं ही हैं। बिना शरीर के जीव कभी नहीं रह सकता। बिना शरीर के आत्मा नहीं रहती। बिना आत्मा के शरीर नहीं रह सकता। इनका अन्योन्य संबंध है। खाली स्थूल शरीर जो है, इसके बिना आत्मा रह सकता है। लेकिन सूक्ष्म शरीर, कारण शरीर- कारण शरीर माने संस्कार और सूक्ष्म शरीर जो आँखों से दिखाई न पड़े। अतिवाहिक शरीर भी कहते हैं उसको। तो जैसे यह तमाम योनियाँ हैं भूत, प्रेत, पिशाच आदि, यह सब सूक्ष्म शरीर वाले हैं। देवता भी सूक्ष्म शरीर वाले हैं। वह भी दिखाई नहीं पड़ेंगे आपको material आँख से। यहाँ देवता जा रहा है, आप नहीं देख सकते। तो यह सूक्ष्म शरीर वाले प्राणी हैं हजारों प्रकार के, जिनका शरीर सूक्ष्म है और वह कोई हजार वर्ष जीवित रहते हैं। कोई दो हजार वर्ष, कोई चार हजार वर्ष। देवता लोग लाखो वर्ष जीवित रहते हैं। तो सूक्ष्म शरीर से चाहे जितने दिन तक कर्म भोग है- अच्छा कर्म है स्वर्ग भोगेगा, बुरा कर्म है तो और गन्दी योनियों में जाएगा सूक्ष्म शरीर लेकर के। जब वह भोग खत्म होगा, तब फिर वह किसी माँ के पेट में उस सूक्ष्म शरीर को लेकर जाएगा। तब वह स्थूल शरीर पाएगा। तुरन्त जन्म होने का सवाल नहीं है किसी का। लेकिन हो सकता है किसी का ऐसे ही हिसाब हो ईश्वरीय राज्य में। उसके कर्म इसी प्रकार के हों कि यहाँ से सूक्ष्म शरीर निकला और दूसरी माँ के पेट में चला गया। ऐसा भी possible है। एक दिन में गया एक दिन का तो अनुभव था उसका? एक हजार वर्ष में गया- ऐसा कर्म भोग था। इसीलिए इसका decision कर्म पर depend करता है।
:- श्री महाराज जी 🙏❤️🙏
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