भगवद् भक्ति के दृष्टिकोण से चार प्रकार के लोग होते हैं ।

चार प्रकार के लोग होतें है ।
१. मुढ़ा - जो समझदार होकर भी, पढ़ें लिखे होकर भी नासमझ बने रहतें हैं । इंटरेस्ट नहीं है हरि गुरू में ,भगवान में । मंदीरों में तीर्थों में लोकरंजन के लिए जाते हैं तथा भक्त होने का स्वांग करतें हैं । 

२. नराधम - जो हमलोग हैं , सब तत्त्वज्ञान श्री महाराज जी ने दिए , ज्ञान भी हो गया , जुड़े हैं , पर श्री महाराज जी के आदेश को लागु नहीं किया अभी तक अपने जीवन में ।

३. भौतिकबादी - जो संसार को हीं सत्य समझतें हैं , शरीर को मैं समझतें हैं‌। देहाभिमान है । चार्वाक के पुजारी हैं ।

४. आसुरी - जो असुर प्रवृति के हैं। भगवान और हरि गुरू के रास्ते पर चलने वाले से द्वेष करतें हैं । आदि आदि । भक्त का मजाक उड़ातें हैं ।
श्री राधे ।

इसमें 2सरे नंबर बाले नराधम का कल्याण किसी भी क्षण हो जाएगा जिस क्षण वो सरेंडर कर दें हरि गुरू के चरणों में , शरणागत हो जाए । बस काम बन जाएगा ।
किंतु बांकी तीनों को तो चौरासी का चक्कर जरूर लगेगा । 
श्री राधे । ( मां के प्रवचन से ) ।

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