कामनाओं कि उत्पत्ति तथा सुख और दुख ।
संसार में वो जीव उतना हीं सुखी है जिसकी संसारिक कामना तथा भौतिक अपेक्षाएं अपेक्षाकृत जितना कम हुआ है, संसार में एक कामना पुरी होने पर दुसरी कामनाएं उत्पन्न होती रहती है तथा न पुरी होने पर या तो क्रोध (Anger) या क्षोभ (Frustration) या शोक ( Regrets) यानि दुख (sorrows ) कि उत्पत्ति होती है तथा पुरी होने पर लोभ (Greed of next Level of aspectations or another desires) कि उत्पत्ति होती है ।
हम सभी मायाधीन जीव अपने कामनाओं के गुलाम हैं, मन के गुलाम हैं , इसलिए हमेशा से दुखी हैं, हम चुके मायाधीन है इसलिए सदा से परतंत्र है और तब तक परतंत्र रहेंगे जबतक हमारी सारी कामनाएं समाप्त होकर माया से सदा के लिए उत्तीर्ण होकर भगवान श्री कृष्ण को न प्राप्त कर लें ।
मनुष्य एक के बाद दुसरे कामनाओं के उत्पत्ति तथा उसकी पुर्ति के पीछे दिन-रात मृग की भांति भाग रहा है जो उसके दुख का सबसे बड़ा कारण है । जब तक जीव संसारिक, मायिक कामनाओं के पूर्ति के पीछे प्रयत्नशील रहेगा वो कभी सुखी हो ही नहीं सकता है, अतृप्त कामनाओं के रहते हुए कोई मनुष्य यह दावा कर हीं नहीं सकता कि वो सुखी है । अगर कोई यह कहता है या दावा करता है कि वो सुखी है तो या तो वो भ्रम में हैं या वो अपने अहंकार की तुष्टि हेतू सरासर झूठ बोल रहा है तथा अपने क्लेशों को छुपा रहा है ।
पंचक्लेशों तथा त्रिविध तापों के रहते हुए संसार में कोई सुखी नही हो सकता चाहे वो कितना भी भौतिक संसाधनों को इकट्ठा कर लें तथा उसका उपभोग करें ।
संसारिक संसाधनों में सुख नहीं है जब तक जीव इसे स्वीकार करके अपने जीवन में वास्तविक महापुरूष यानि किसी श्रोत्रिए तथा ब्रह्मनिष्ट महापुरुष को गुरू रूप में वरण करके उनके शरणागत होकर उनके बतलाए मार्गों पर नहीं चलेगा तबतक वो दुखी हीं रहेगा, सुख का लवलेश भी उसे प्राप्त नहीं हो सकता, चाहे वो कितना भी भौतिक संसाधन , सत्ता , शक्ति , भौतिक ज्ञान , शरीर के रिस्ते नातेदार तथा इंद्रियांदिक सुख सुविधाओं के तमाम साधनों को एकत्रित क्यूं न कर ले , यहां तक कि इन्हीं संसाधनों से उसे उतनी ही मात्रा में अंतत्वोगत्वा दुख मिलना तय है जितना कि इन साधनों से वो सुख कि अपेक्षा कर रहा है ।
यह अकाट्य आध्यात्मिक सत्य है । श्री राधे :- पंचम मूल जगद्गुरूत्तमई श्री कृपालुजी महाराज के द्वारा दी गई शास्त्र समस्त सिद्धांतों तथा व्यवहारिक रूप से आज संसार के हम जीवों के हालात से सिद्ध सत्य से एक साक्षात्कार।
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