****राम कौन हैं *** पोस्ट संख्या - पाँच श्री महाराज जी :-
****राम कौन हैं *** पोस्ट संख्या - पाँच
श्री महाराज जी :-
सुगम अगम नाना चरित सुनि मुनि मन भ्रम होय।
प्रभु बंधन रण महंँ निरखि ।
गरूड़ सरीखे पर्सनालिटी को मोह हो गया। ये राम ।
भव बंधन से छूटहिं नर जपि जाकर नाम ।
एक तुच्छ राक्षस उसने नागपाश में बांध लिया । ये राम भगवान नहीं हो सकते, कोई बड़ी पर्सनालिटी हैं ठीक है, भगवान - उगवान नहीं ।
महामोह ऊपजा उर तोरे ।
सब जगह भटकते फिरे विचारे । लग गई माया । हांँ । नहीं समझ पाए । अरे कोई नहीं समझ सकता।
देखा हम आपको बताएं एक छोटी सी बात । सीता हरण हुआ, हांँ । तो भगवान लक्ष्मण के साथ सीता को ढूंढने निकले पैदल। और किस तरह ढूंढ रहे हैं । अरे आज कल भी तमाम लोगों की स्त्रियां खोती है, बेटी खोती है , बहन खोती है, लेकिन उसके खोजने का तरीका होता है । पुलिस में खबर करो , रेडियो में, इसमें-उसमें , सब तरह के तरीके हैं न-
ये वृक्षा: पर्वतस्था गिरिगहन लता वायुना वीज्यमाना ।
रामोअ्हं व्याकुलात्मा दशरथ तनय: शोक शुक्रेण दग्ध:।
बिम्बोष्ठी चारूनेत्री सुविपुल जघना बद्ध नागेन्द्र काञ्ची।
हा सीता केन नीता मम ह्रदय गता को भवान् केन दृष्टा ।
ऐ पेड़ों लताओं, पताओं बताओ मेरी सीता इधर से गई है। क्यों जी कोई पेड़ से पूछेगा । उनको होश ही नहीं है कि मैं किससे पूछ रहा हूंँ। यह जड़ है कि चेतन है ।इतनी विरहावस्था है राम की, स्त्री प्रेम में । ऐसे ही हम लोगों ने देखा होगा । अनादी हैं हम भी राम के बराबर उम्र है हमारी। एक मामले में हम उन से कंपटीशन कर सकते हैं। जब से राम तब से हम। ये जीव, माया, ब्रह्म तीनों अनादि, अनंत, शाश्वत तत्व हैं । हमने देखा है, और हंसे हैं हम लोग देखकर। हांँ- हांँ देखो। हाँ-हाँ देखो तो ज़रा पागल हो गया है । ये तो पेड़ से पूछ रहा है मेरी सीता कहां है। अरे और छोड़ो लक्ष्मण से कहते हैं भगवान राम-
'कोअ्हं ब्रूहि।'
ऐ जी! मैं कौन हूँ ।- लो ।
कोअ्हं ब्रूहि सखे स्वयं स भगवानार्य: स को राघव: ।
आप महाराज आर्य हैं । आर्य । आर्य कौन? अरे आप भगवान राम हैं । ओ.. मैं राम हूंँ । अच्छा-अच्छा। के यूयं । तुम कौन हो ? लक्ष्मण को भी भूल गए।
नाथ नाथ किमिदं दासोअ्स्मि ते लक्ष्मण: ।
अरे महाराज ! मैं आपका दास लक्ष्मण हूंँ । अच्छा अब समझा , मैं राम हूं, तुम लक्ष्मण हो । लेकिन एक बात बताओ यह हम लोग जंगल में क्या कर रहे हैं । लो वर्क भी भूल गये ।
कान्तारे किमिहास्महे वद सखे देव्यागतिर्मृग्यते ।
अरे देवी जी को ढूंढ रहे हैं हम लोग महाराज । देवी? का देवी? कौन देवी ? जनकाधिराज तनया । अरे जनक की पुत्री । ओ.. हा जानकि । बेहोश हो गए । बताओ ऐसा कोई स्त्री प्रेमी आपने आज विश्व में देखा है ? कोई नहीं कोई हो ही नहीं सकता।
सौमित्रे ननु सेव्यतां तरूतलं चण्डांशुरूज्जभते।
लक्ष्मण । थोड़ी देर पेड़ के नीचे आ जाओ । सूरज बहुत तप रहा है और रात के समय यह बोल रहे हैं । सूर्य तप रहा है, पेड़ की छाया में चलें हम दोनों । लक्ष्मण जी कहते हैं - महाराज क्या कह रहे हैं आप?
चंडांशोर्निशिका कथा रघुपते चन्द्रोअ्यमुन्मीलति ।
अरे यह तो चंद्रमा है महाराज , सूरज कहां है रात को। लता तरु पाती से पूछ रहे हैं , सीता कहां है ये उनकी लीलाएं हैं । इसको लीला कहते हैं । इसको देखकर कौन नहीं मोहित होगा । पार्वती का हाल बुरा हो गया । हां भगवान शंकर ने प्रणाम किया फिर भी अक्ल नहीं आई। और कहा कि ये ब्रह्म, ऐसा कैसे हो सकता है । अच्छा मैं परीक्षा लेती हूं । लो पावर हाउस की परीक्षा लेने जा रही हैं। अनंत कोटी ब्रह्मा, विष्णु, शंकर ,अनंत कोटि ब्रह्याणी, रुद्राणी और कमला सब नौकरानी हैं राम की ।और उन्हीं की परीक्षा लेने जा रही हैं ,और खुद की परीक्षा हो गई । हां ।
देखो यह विष्णु शब्द आता है सब जगह । राम विष्णु के अवतार हैं ।अध्यात्म रामायण में भी आया है।
त्वं विष्णुर्जानकी लक्ष्मीं
आप विष्णु हैं और जानकी जी लक्ष्मी ।
जय राम रमापति ।
जगह-जगह आया है लेकिन ये विष्णु, ये नहीं हैं जो एक ब्रह्मांड के विष्णु है । एक ब्रह्मांड में एक ब्रह्मा, एक विष्णु, एक शंकर होता है । अनंत कोटि ब्रम्हांड है तो अनंत ब्रह्मा, अनंत विष्णु , अनंत शंकर हैं । इन सब के ऊपर महाविष्णु होता है , और वो महाविष्णु भी भगवान राम का अंश है।
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