प्र: १७- महाराज जी जैसे बिजनिस मैन है कोई सबेरे से रात तक काम करता है, तो साधना हो नही पाती तो धन से सेवा कर लेता है | क्या इससे अध्यात्मिक लाभ मिलेगा ?
प्र: १७- महाराज जी जैसे बिजनिस मैन है कोई सबेरे से रात तक काम करता है, तो साधना हो नही पाती तो धन से सेवा कर लेता है | क्या इससे अध्यात्मिक लाभ मिलेगा ?
उत्तर ( महाराज जी द्वारा) :- हाँ हाँ , धन से करे लेकिन उस समय भी ये लक्ष्य रखे , सदा ध्यान यही रहे की हम जो कुछ धन कमा रहे हैं परमार्थ के लिए | भगवत् निमित्त सेवा के लिये कर रहे हैं ये चिन्तन बनाता रहे | धन कमाना दो प्रकार से होता है - एक तो अपने लिये , एक परमार्थ के लिये | नम्बर दो परमार्थ के लिये भी अगर कोई करे , तो केवल धन ही का चिन्तन न करे, किसके लिये हम धन कमा रहें है उसका चिन्तन भी साथ चले | और धन कमाने में अगर अधिक धन मिले , तो उसको अपना नही माने ; अगर हानि हो जाय , नुकसान हो जाय तो फिलिंग न हो , वो हमारे श्यामसुन्दर को ऐसे ही मंजूर होगा | हमारी परीक्षा ले रहे हैं , ठीक है-ठीक है , हम अपना काम करेंगें | ज्यादा दो चाहे कम दो , हम क्या करें | हमारी ड्यूटी परिश्रम की पूरी वही रहेगी | कम दोगे तो हम कम सेवा कर देगें , अधिक दोगे तो अधिक कर देगें |
" एक नाव में तमाम यात्री जा रहे थे नदी पार कर रहे थे | एक बाबाजी भी बैठे थे | तो नाव डूबने लगी | उसमें छेद हो गया , तो पानी भरने लगा तो मल्लाह ने कहा , भाई सब लोग कुछ करो , मैं क्या करुँ , बीच नदी में हैं हम लोग | तो कोई अपना उलीच रहा था पानी बाहर , जल्दी जल्दी कि इतना न भर जाय पानी कि नाव डूबे और बाबाजी बाहर से उसमें पानी डाल रहे थे , नदी से | सब कहें ये पानी डाल रहा है ! तो खैर वैसे करते-करते तमाम लोग निकालने में लगे थे अब एक आदमी डाले उसमें क्या फर्क परता है | नाव पार हो गई उस पार | जब हो गई पार , तो लोगों ने पूछा बाबाजी तुम ऐसा क्यों कर रहे थे, सब मर जाते हम लोग ? तो उसने कहा कि भगवान् की ऐसी इच्छा थी कि नाव डूब जाय , हम मदद कर रहे थे |
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