*कहीं भी कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जो बदनाम ना हो। सबसे अधिक बदनाम भगवान् हैं। उसके बाद संत लोग हैं। उसके बाद गृहस्थी लोग हैं। क्यों?*

*कहीं भी कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जो बदनाम ना हो। सबसे अधिक बदनाम भगवान् हैं। उसके बाद संत लोग हैं। उसके बाद गृहस्थी लोग हैं। क्यों?*
*भगवान् और संत इसलिए बदनाम है कि उनका एरिया अलग है। और हम लोगों का एरिया अलग है, तो हम उनकी बुराई करते हैं माया वाले। अरे देखो वो महात्मा बीवी छोड़ दिया, उसने बच्चा छोड़ दिया, बाप छोड़ दिया, मां छोड़ दिया, भगोड़ा है, कायर है और जंगल में जा कर राधे-राधे कर रहा है। हम लोग बुराई करते हैं संतों की। और भगवान् की तो दिन-रात बुराई होती है कि संसार बना दिया, माया लगा दिया, हमको मार दिया। माया और ब्रह्म में विरोध है इसलिए माया के एरिया वाले ब्रह्म का विरोध करेंगे ही, बदनाम करेंगे ही। और मेजोरिटी है इतनी बड़ी माया वालों की। और संसार संसार की बुराई करता है उसका रीजन यह है कि हर आदमी अपने को अच्छा समझता है। समझता है का मतलब कहलवाने का प्रयत्न करता है। लोग हमको अच्छा मानें तो कैसे अच्छा मानेंगे? जब दूसरे की बुराई करेंगे। तभी लोग हमको अच्छा मानेंगे। उसमें यह खराबी है, उसमें यह खराबी है। हर एक को बदनाम करने को एक-दूसरे लोग तैयार रहते हैं। स्त्री-पति की शादी होती है, जब कोई झगड़ा होता है तो पड़ोसी से जा कर कहता है हमारी बीवी ने ऐसा किया, हमारे पति ने ऐसा किया यहां तक होता है। तो कौन नहीं है बदनाम। है कोई भी विश्व में ऐसी पर्सनालिटी या हो सकती है जो बदनाम ना हो। जब दो पार्टी हैं तो एक पार्टी में जाएगा तो दूसरी पार्टी बदनाम करेगी। अच्छे बनोगे बुरे लोग बदनाम करेंगे। बुरे बनोगे अच्छे लोग बदनाम करेंगे। नहीं समझ में आया?*

*- जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज*

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