प्रश्न: महाराज जी क्या आप दीक्षा देते हैं?

प्रश्न: महाराज जी क्या आप दीक्षा देते हैं? 

श्री महाराज जी द्वारा उत्तर :- देते हैं। अधिकारी को देते हैं। दीक्षा माने समझते हो ? दीक्षा माने दिव्य प्रेम। वो दिव्य प्रेम पाने के लिए दिव्य बर्तन चाहिए, यानि दिव्य अंतःकरण। ये अंतःकरण जो है, ये मायिक है, प्राकृत है, ये दिव्य प्रेम को सहन नहीं कर सकता। किसी भिखारी की एक करोड़ की लाटरी खुल जाती है तो हार्टफेल हो जाता है उसका। तो अनन्त आनन्दयुक्त जो प्रेम है, वह प्राकृत अंतःकरण में नहीं समा सकता। तो पहले अंतःकरण की शुद्धि करनी होगी।

ये बाबा लोग आजकल जो ठगते हैं लोगों को कान फूँक फूँक करके, ये सब वेद विरुद्ध है। ये पाप कर रहे हैं, उनको सबको नरक मिलेगा, हजारों-लाखों वर्ष का। और ये जो कान फुंकाते हैं, इन मूर्खों को इतना समझ नहीं है कि गुरु जी से पूछें कि आप क्या दे रहे हैं? मंत्र! ये मंत्र का क्या मतलब है ? हरेक मंत्र का यह अर्थ है कि हे भगवान् ! आपको नमस्कार है। वो अगर हिन्दी में कहें, उर्दू में कहें, पंजाबी, बंगाली, मद्रासी में कहें, तो भगवान् खुश नहीं होंगे? और फिर अगर तुम कहते हो हमारे मंत्र में पावर है, तो तुमने जब कान में दिया तो उस पावर की फीलिंग क्यों नहीं हुई। मामूली से करेन्ट को छूने से तो सारा शरीर काँप जाता है और तुम स्प्रिचुअल हैपीनैस दिव्यानन्द दे रहे हो कान में, और हमको कोई फीलिंग नहीं। हमारी हालत और फटीचर होती रही है। और कान फुंकाए बैठे हैं। फिर तुमने दिया क्या? ये सब धोखा है। पहले भक्ति करनी होगी। जब अन्तःकरण शुद्ध हो जाएगा, तब गुरु एक पावर देगा, तब करण दिव्य बन जाएगा, तब भगवत्प्रेम मिलेगा फिर भगवत्प्राप्ति, माया निवृत्ति, सब इकट्ठा काम खत्म।

अरे! तमाम मंत्र तो लिखे हैं, पुस्तकों में, वो कान में क्या रहे हैं हजारों मंत्र शास्त्रों में, भागवत वगैरह सबमें लिखे हैं, कोई भी पढ़े अपना जपे, उससे क्या होगा

बस एक क्वेश्चन करे, मंत्र देने वालों से कि आपके मंत्र में पावर है तो क्या है राम-राम, श्याम-श्याम जो बोलते हैं, उनसे तुम्हारे मंत्र में क्या खास बात है? अगर वो कहे कि इसमें पावर है, सिद्ध है ये मंत्र, तो राम और श्याम नाम में अनन्त संतों ने सिद्ध किया है, ये कौन अशुद्ध हैं? भगवान् के नाम में तो भगवान् बैठे रहते हैं और अगर तुम्हारे दिए मंत्र में कोई खास बात है तो हमारे कान में दो, और तुरन्त उसका असर हो तो ठीक है, वर्ना उसको लेने से क्या लाभ अरे भई! कोई चैक बुक पर लिख दे एक करोड़ और बैंक बैलेंस जीरो है, तो वो चार सौ बीस है न न शास्त्र का ज्ञान न वेद का ज्ञान कुछ नहीं, दस-बीस चौपाई रामायण की याद कर लिया, ये गीता-वीता के, और अपना क ख पढ़ लिए हिन्दी में और अपना हो गया कमाल।

इतना ज्ञान है वेदों-शास्त्रों का कि एक हजार वर्ष की उम्र प्राप्त करके भी मनुष्य ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता, पढ़ करके। तो क्या करेगा बेचारा! कोई प्रैक्टीकल मैन, महापुरुष पढ़ा दे, तो एक साल में तत्त्वज्ञान हो जाए। एक साल में सब शास्त्र वेद का ज्ञान।

दीक्षा का मतलब जैसे आप अपने घर में सब फिटिंग कर लीजिए- तार, बल्व लगा दीजिए। अब इसके बाद पावर हाउस से कहिए कि हमें पावर दे दो। उसने पावर दिया तो तुरन्त लाइट हो गई, पंखे चलने लगे, सब हो गया। तो फिटिंग नहीं होगी तो कहाँ पावर देगा वो पावर हाउस ? अरे, पहले तुम अपने घर में तो फिटिंग कर लो। ऐसे ही पहले अंतःकरण को तुम्हें पहले दिव्य बनाना होगा, तब उसमें दिव्य प्रेम आएगा।
:- श्री महाराज जी ।

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