कोई अगर पुर्ण या आंशिक रूप से मानसिक विकलांग है तो वो जीव क्या भक्ति का अधिकारी नहीं है , या वो कैसे भक्ति करें ? या उसका उद्धार कैसे हो ?

एक बहन ( जो युगल सरकार की भक्ति करती है पर 
श्री महाराज जी से नहीं जुडें हैं और ना हीं उनके किसी प्रचारक से जुड़े हैं पर छ: महीने से उनका झुकाव श्री महाराज जी के तरफ हुआ है सोसल मिडिया द्वारा ) वो बहन बहुत बड़े सरकारी पद पर हैं । 
उन्होंने एक बड़ा मार्मिक प्रश्न पुछा है मुझसे और रिक्वेस्ट की है कि मैं उनके प्रश्न का समाधान करूं पहले बिना नाम लिए उनका और पोस्ट कर दुं फेसबुक पर ताकी उनके रिस्ते नाते दार संगी साथी भी समझ सके और बाद में मां से पुछ कर फिर डिटेल डालुं ।
उनका प्रश्न बड़ा मार्मिक और दिल को द्रवित करने वाला है ।

उनका प्रश्न है कि किसी का बेटा अगर पुर्ण या आंशिक रूप से मानसिक विकलांग है तो वो जीव क्या भक्ति का अधिकारी नहीं है , या वो कैसे भक्ति करें ? या उसका उद्धार कैसे हो ? 

मैं अंत:प्रेरणा के आधार पर समाधान देता हुं । और मां से भी पुछ कर फिर लिखुंगा आगे । लेकिन मुझे लगता है यही उत्तर मां से भी मिल सकता है । 

सबसे पहले तो हमें यह समझना होगा की मानसिक विकलांगता का स्तर क्या है । दुनिया के मनोवैज्ञानिकों ने इसे वर्गीकृत निम्न प्रकार से किया है :- 
      वर्ग बुद्धि लब्धि
गहरी मानसिक विकलांगता 20 के नीचे
गंभीर मानसिक विकलांगता। 20-34
मध्यम मानसिक विकलांगता 35-49
हल्की मानसिक विकलांगता 50-69
औसत बौद्धिक कार्य 70-84

अब हम इसका उत्तर समझ सकते हैं ठिक से ।

औसत बुद्धि और हल्की मानसिक विकलांग जीव यानि निचे लिखे दो स्तर वाला व्यक्ति तो भगवान का भक्ति मन से कर हीं सकता है वो कर्म भी करता हीं है संसार में । इसमें दो मत नहीं है । 

अब मध्यम मानसिक स्तर वाले को हम आप सहायता कर सकतें हैं , अगर बच्चा ऐसा है तो हम उसको भगवान के फोटो के सामने वैठा सकतें हैं । इस प्रकार का जीव बड़ा भोला होता है । हम आप प्यार से उसको जरूरी भर कार्य करना , पढ़ना लिखाना और भगवान के किर्तन में आंशिक स्तर पर हीं सही मन लगाने का अभ्यास करना सिखा सकते हैं । थोड़ी मेहनत होती है । पर हो सकता है और भगवान उसके छोटे से प्रयास से हीं खुश होते होंगें ऐसा मेरा दिल कहता है ।

पर गंभीर और गहरी मानसिक विकलांग की अवस्था बाला तो कर्म कर हीं नहीं सकता , ना हीं मानसिक और ना हीं शारीरिक । वो तो जब तक जीता है खुद दुसरे पर निर्भर होता है । उसका यह मानव योनि तो है पर भोग योनि है मात्र । 
जैसा कि मानव कर्म योनि के साथ भोग योनि भी है । पर ऐसे केश में वो उस जीव का यह भोग योनि हीं है ।
इस अवस्था वाला जीव प्राय: देखा गया है लंबे समय तक जीवित नहीं रहता है । 
इसलिए वो कोई भी कर्म नहीं कर सकता है ।
ऐसे मां वाप और समाज को चाहिए की उस जीव के साथ प्यार और सहानुभूति के साथ पेश आए । उसके साथ सहयोग करें । 
और प्रार्थना करें भगवान से उसके लिए, ताकि दुसरे जन्म में उसे विकसित मानव शरीर मिले और भक्ति कर सकें । तो यह भी एक जीव सेवा हीं है । और सेवा का अवसर आपको मिला है ।
इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकते । मेरी भी सहानुभूति और प्रार्थना है उन जीवात्मा के लिए । श्री राधे दीदी ।

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