भक्ति मार्ग ।

जो प्यारे भाई बहन ऐसे लोग जो श्री महाराज जी के द्वारा दिए गए तत्त्व ज्ञान से अनभिज्ञ हैं और फेस बुक पर पढ़ कर बहुत से सबाल करते हैं , उनके शंका का समाधान करना  मुझ जैसे क्षूद्र जीव के लिए संभव नहीं है । इसके लिए आपको श्री महाराज जी के पुस्तकों को मंगा कर पुरा पढ़ना पड़ेगा । या उनके प्रचारकों से जुड़ना हीं होगा । श्री महाराज जी जगद्गुरू उत्तमई है । वेद की सभी ऋचाएं पानी भरती है उनके यहां और उनके शरण में हीं रहती हैं हमेशा । 
फिर भी श्री महाराज जी के कृपा से , पुज्यनियां मां के आनूगत्य में थोड़ी बहुत जानकारी जो मुझे है , उस आधार पर केवल इतना हीं कह सकता हुं संक्षेप में कि बहुत सारे लोगों का ९९% का सबाल , कर्म कांड - ज्ञान मार्ग या राज योग से है ।
श्री महाराज जी ने भक्ति मार्ग को हीं उत्तरोत्तर सरल और उत्तम मार्ग  सिद्ध किएं हैं । 
वेद में अस्सी हजार श्लोक , कर्मकांड-ज्ञानादि पर है और केवल बीस हजार श्लोक भक्ति योग पर है ।
चूँकि,  'पुराण' वेद से पहले प्रकट हुए और वेद को आसानी से समझने के लिए हीं प्रकट हुए हैं , अत: स्वाभाविक है कि पुराणों में भी ८०% बातें कर्मकांड-ज्ञान आदि पर हीं हैं । 

चुंँकि भगवान ने स्वयं कहा है कि' अहं भक्त पराधिन: '

भगवान ना कर्मकांड से मिल सकते हैं  और न ज्ञान मार्ग से । 
ज्ञान मार्गी भी अरबों में कोई एक केवल आत्मक ज्ञानी ही हो सकता है लेकिन भगवान को नहीं जान सकता । 
अंत में ज्ञान मार्गी वाले पहूंचे हुए को भी भगवान को जानने के लिए भक्ति हीं करनी पड़ती है  । 
क्योंकि भगवान ना ज्ञान के अधिन हैं और ना कर्म के या यूं कहें कि भक्ति को छोड़ कर कोई भी अन्य साधन से भगवान को प्राप्त नहीं किया जा सकता ।

इसलिए आप लोगों ने जो जो सवाल किए हैं वो ९९% ज्ञान मार्ग के हैं या कर्मकांड के । इसलिए आपको कन्फूजन होना स्वाभाविक है । 
हम सब श्री महाराज जी के भक्ति मार्ग के आनुगत्य हैं ।

अब आप हीं बतलाए आपके प्रश्नों का समाधान तो कोई ज्ञान मार्गी , कर्म कांड मार्गी हीं कर सकता है । भक्ति मार्गी उसमें भी हम जैसे लोग कैसे कर सकतें हैं ।
आपके पुराण , उपनिषद संबंधित कर्म कांड का समाधान तो कर्म कांडी हीं कर सकते हैं । 
या तो श्री महाराज जी की आठ भौलुम ' मैं कौन मेरा कौन ' मंगा कर पढ़ लिजिए , समाधान हो जाएगा , फेस बुक पर चाह कर भी , या जानते हूए भी डिटेल करना असंभव हीं हैं । 

ऐसे भी फिजिक्स का प्रश्न , मैथ का प्रश्न तो फिजिक्स और मैथ के क्लास में हीं करना उचित है । 
भला कैमिस्ट्री के क्लास वाले फिजिक्स और मैथ जानते हुए भी इस लफड़े में नहीं पड़ना चाहेंगें।
हमारी तो कैमिस्ट्री युगल सरकार से व श्री महाराज जी से है । हम कैमिस्ट्री वाले लोग , फिजिक्स और मैथ में दिलचस्पी क्यों रखें ? खुद गरूड़ जी और शिवजी युगल सरकार के कैमिस्ट्री वाले हैं । 

हम सब को जप ,तप , योग , शौंच , यम,  नियम, विधि निषेध आसन , ध्यान , धारणा , समाधी,  प्रणामायाम  , आहार , प्रत्याहार , ( शम, दम , श्रद्धा  , उपरति , तितिक्षा , समाधान )- षट्संपत्ति ,  मुमुक्षुत्व,  ज्ञान , वैराग्यादि  साधन चातुष्ट्यौं में एवं विपर्यय , धर्म , अर्थ , काम , मौक्ष आदि  में भला क्या दिलचस्पी हो ! इन सब के बारे में जानतें तो है अपने गुरूबल से पर इंटरेस्ट नहीं है । 
अब मीमांसा , सांख्य , न्याय, वैशेषिक , पातंजलि योग दर्शन , उपर दिए गय अष्ठांगयोग आदि में रूची नहीं ।

हम सब तो केवल श्री महाराज जी द्वारा समझाए गए वेदांत वाले हैं । 

और अब तो पात और निपात् भी नहीं प्रणिपात् वाले हैं । 

हम सब तो बिना नहाय धोय युगल सरकार की आरती गाने  वाले हैं ।

यहां तो भगवद् प्रेम रस वाले हैं केवल , भला प्रेम तत्व का सार राधा रानी को जो गुरूदेव के कृपा बल से जान गया उसको गरूड़ पुराण और शीव पुराण से क्या लेना देना । भक्ति वालों के लिए गरूड़ पुराण और शिवपुराण आदि में दिलचस्पी क्यों कर हों । वो सब भक्तो के काम के हैं हि नहीं ।
जो ज्ञानमार्गी है या  कर्मकांडी हैं वो डरे भला गरूड़ पुराण से या अन्य शास्त्रों से । 

हमें तो बस एक कृपालु सो काम । हमसब तो प्रेम मंदीर वाले हैं । हमारा लक्ष्य तो सीधा गोलोक है । भगवद् प्राप्ति है । 
श्री राधे ।

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