आप सबको एक सच्ची कहानी शेयर कर रहा हुं अपनी मां राधा रानी के बारे में ।

आप सबको एक सच्ची कहानी शेयर कर रहा हुं अपनी मां राधा रानी के बारे में । ये मेरे ठाकुर और ठकुरानी है मेरे घर और मन के मंदिर में रहते हैं हमेशा । 
मैं पिछले पांच साल से लगातार राधा रानी का मुकुट ठीक करता रहता हुं , उनके मुकुट को बढ़िया से बढ़िया एडेसीभ से पीछे के चुनरी से चिपकाया । पर मेरी ठकुरानी हमेशा मुकुट को निचे झुका लेती हैं ।
मैं काफी प्रयास किया हजारों बार अबतक , लेकिन वो हमेशा हीं मुकुट को झुका लेती हैं । कभी भी  मुकुट अपने माथे कर सीधा नहीं रहने देती ।

मैं बहुत मिन्नत किया । उनके उपर थोड़ा प्यार से क्रोध भी किया , पर वो नहीं मानती है । समझाने पर , रोने गिड़गिड़गिराने पर थोड़ा देर रखती है सीधा और जैसे हीं मैं काम करने चला जाता हुं बाहर तो वो मुकुट को झुका लेती हैं ।

अंत में एक दिन मैं खुब रोया और कहा उनको की अब कि "मैं आपका मुकुट अब सीधा नहीं करूंगा । मैं थक गया , लाख जतन कर लिया , बढ़िया से बढ़िया गोंद लगाया पर आप अपना मुकुट क्यों झुका लेती हैं मैं समझ नहीं पाता हुं । 
तो एक दिन ( कुछ दिन पहले ) वो और ठाकुर जी मेरे सपने में आए और मुझे कहने लगी - " मेरे वेटे मैं ठाकुर जी के साथ होते हुए कैसे मुकुट पहनुं ? मेरे मुकुट मनी तो श्याम हैं , इसलिए तुम परेशान मत हो और चिंता मत करो  
तुम्हारे ह्रदय में हम दोनों हैं और हमेशा तुम्हारे साथ रहते हैं , तुम उदास मत हो " भगवान मुस्कुरा रहे थे ।
इतना कहने के बाद वो अपने गोद में मेर सिर रख कर सहलाने लगी । और मै गहन निंद्रा में असीम आनंद के सागर में खो गया । कितना बढ़िया था यह स्वप्न । 
स्वप्न भी असीम आनंद में पहुंचा देता है कभी कभी ।
स्वप्न हीं सही , पर था तो मेरे लिए साक्षात । अब इसका जो भी माएने और कारण हो , मैं उसमें नहीं जाना चाहता । मैं तो उस असीम आनंद की अनुभूति के याद से सुख और आनंद में सिहर जाता हुं । श्री राधे । जय जय श्री राधे ।

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