BGSM (ब्रजगोपिका सेवा मिशन ) द्वारा 2007 से बाल संस्कार शिविर का आयोजन।।
राधेराधे
विश्व के पंचम मूल जगदगुरुत्तमई स्वामी श्री कृपालु जी महाराज जी के विशिष्ट वरिष्ठ एवं प्रमुख प्रचारिका रासेस्वरी देवी जी द्वारा प्रतिस्थापित BGSM (ब्रजगोपिका सेवा मिशन ) द्वारा 2007 से बाल संस्कार शिविर का आयोजन किया जा रहा है । जिस में बच्चों के सर्वांगीण बहुआयामी उन्नति के लिए विभिन्न कार्यक्रम किये जाते रहे है । विद्वान और योग्य शिक्षकों द्वारा ट्रेनिंग दिया जाता है ।
बहुतों का प्रश्न ये है की ऐसा शिविर तो और भी संस्था आयोजन करते है लेकिन ऐसा क्या है जो इस शिविर को औरों से अलग करता है ?
प्रत्येक पिता माता ये चाहते है कि हमारा संतान संस्कारवान बनें ।उसकी शिक्षा सबसे अच्छे school या college में हो ।सबसे qualified teacher मिले हमारे बच्चों को ।ये हर वो मातापिता चाहते है जो अपने बच्चों को समाज में प्रतिष्ठित और सम्मानित देखना चाहते है ।
और ये संस्था तो विश्व के पंचम मूल जगद्गुरु जगदगुरुत्तम स्वामी श्री कृपालुजी महाराज जी के आदर्श और दर्शन से प्रेरित है तो सोचिये यहां पर कि कितनी उच्च शिक्षा मिलती होगी आपके बच्चों को यहां ?
बहुतों को ये भी भय रहता है कहीं ये हमारे बच्चों को सन्यासी न बना लें । हमसे हमारा बच्चा छीन न जाए ?? तो यह पूर्णतया निराधार डर है ।
आप सभी विश्व के पंचम मूल जगदगुरुत्तमई श्री कृपालु जी महाप्रभु का यह कथन एक बार समझना होगा :-
वो कहते हैं कि "लोग सन्यासी बनाते हैं । मैं सन्यासियों को भी प्रेमी बनाता हुं । प्रकाशानन्द को देखो न । दण्ड कमंडल ले कर मेरे पास आया था । शंकराचार्य पद् के लिए उसका नाम भी था । उसने स्वीकार नहीं किया । उसने अपने दंड कमंडल गंगा जी में बहा दिया ।
लोगों में भ्रम है कि जो लोग अनपढ़ होते हैं अल्प बुद्धि वाले अथवा अभावों से ग्रस्त और अंधविश्वासी होते हैं वही भक्ति मार्ग में जाते हैं । किंतु उनके विरूद्ध मेरा कहना है कि भक्ति मार्ग अत्यन्त साहसी और समझदार लोगों का पथ है । जो श्रद्धा विश्वास से सम्पन्न लोग होते हैं वही इस रास्ते पर पैर रख पाते हैं । इसलिए मैं अपने शिष्यों को इंजीनियर , डाक्टर अथवा प्रोफेसर लोगों के रूप में देखना चाहता हुं ।"
:- श्री कृपालु महाराज जी ।
तो आप सभी को उनके इन बचनों से समझ गए होगें की हमारा उद्देश्य क्या है ? बच्चों का बहुआयामी विकास , सर्वांगीण विकास।
आज स्कूलों में बच्चों के बौद्धिक विकास पर ज्यादा जोर दिया जाता है और नैतिक शिक्षा (मौरल एजुकैशन) पर बहुत कम , शरीर विज्ञान , योग आदि पर और भी कम जिस कारण बच्चों में आत्मबल और शरीर बल की कमी हो जाती है ।
इकाई लेवल पर हमारे आज के बच्चे बहुत मेधावी हैं , यें बड़े बड़े डाक्टर , इंजीनियर , वकील , जज , सांइटिस्ट बन तो जाते हैं पर अपने कर्तव्य , विवेक , जीवन के मूल्यों से कोसों दुर हो जातें हैं , जीविका के लिए धन तो कमा लेतें हैं पर शांति शकुन से नही जी पातें , संसार में कार्यस्थल पर सही निर्णय नही लेना , लोभ लालच में पर कर अनैतिक और पक्षपातपुर्ण डिसीजन करना , अपने पारिवारिक, सामाजिक और स्वयं के जीवन के प्रति लापरवाही हमारे बच्चों के जीवन में ज़हर घोल रही है । जिससे आत्म हत्या , डिप्रेशन , बल्ड प्रेशर , डाइविटिज के शिकार हो रहे हैं हमारे बच्चे ।
इसलिए इनका आध्यात्मिक विकास भी उतना ही जरूरी है जितना की शुद्ध भोजन । सही सही आध्यात्मिक विकास वही करा सकता है जो खुद आध्यात्म का वास्तविक और व्यवहारिक ज्ञानी हों । नही तो केवल किताब पढ़कर पढाने वाले शिक्षकों से कितना आध्यात्मिक विकास या ठीक ठीक बौद्धिक हुआ है हम सबके सामने हैं ।
आज के इस भौतिक युग में आध्यात्मिक उत्थान की बहुत आवस्यकता हैं । बिना आध्यात्मिक आधार के भौतिक विकास दीर्घकालिक व स्थाई कभी नही हो सकता ।
यहां तक की विना आध्यात्मिक विकास के भौतिक विकास रक्षक के जगह भक्षक हीं साबित होता है ।
अतः ब्रजगोपिका सेवा मिशन द्वारा आयोजित शीविर न केवल आध्यात्मिक विकाश पर बल देता है वल्कि यह आध्यात्मिक शिक्षा के साथ साथ सही सही बौद्धिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त करते हुए बच्चो के बहुआयामी व्यतित्व का विकाश और उसमें सकारत्मक सोंच की अभिवृद्धि कराता हैं । जिससे बच्चे अपने जीवन के हर क्षेत्रों में सफलता हासिल करने के काबिल बनते हैं । चरित्रबाण बनते हैं ।
अतः आप सभी अगर अपने बच्चों को जीवन के हर क्षेत्रों में सफल देखना चाहते हैं तो अपने बच्चों को इस शीविर में जरूर भेजें । श्री राधे ।।
Comments
Post a Comment