हमारा देश भारतवर्ष , भगवान का अवतार , संतों का प्यारा भूभाग भारत

हमारा देश भारतवर्ष , भगवान का अवतार , संतों का प्यारा भूभाग भारत :-
आईये सुनते है , महाराज जी ने क्या कहा जब उनसे एक विदेशी ने  पुछा की भगवान के ज्यादातर अवतार भारत में ही क्यूँ होते हैं ?
( कामना और उपासना भाग एक )
महराज जी की वाणी :- "भारतवर्ष का तो ये सौभाग्य है कि यहाँ सन्तों की भरमार रही है | जितने वर्षों का इतिहास आप लोग जानतें हैं उतनें ही वर्षों में देख लीजिये कितने अवतार , कितने सन्त , हमारे देश में हुए | एक विदेशी ने हमसे कहा कि साहब ये क्या बात है कि गॉड आप ही के यहाँ अवतार लेता है ? हम लोगों के यहाँ क्यों नहीं अवतार लेता ? ये सौभाग्य इण्डिया को हीं क्यों प्राप्त है? हमने उनको बड़े मज़ाक में उत्तर दिया | हमने कहा चूँकि ये दुर्भाग्य भी इण्डिया को प्राप्त है कि बड़े - बड़े राक्षस भी यहीं हुए | तो कोई भी चीज़ किसी कारण से होती है | अरे उत्तर तो हमको कुछ और देना चाहिए था | लेकिन हमने जानबूझ कर कुछ ऐसा उत्तर दिया |

उत्तर तो यह है कि भई भगवान् तो वहीं अवतार लेगें जहाँ उनके जन होगें , उनके सन्त होंगें , उनकी इच्छा होगी कि वो अवतार लें | वहीं तो वे अवतार लेंगे | मेन कारण तो सन्त लोग हैं |

भक्त हेतु भगवान् प्रभु राम धरेउ तनु भूप |
      किए चरित पावन परम  
            :- श्री महाराज जी 

दोस्तों महराज जी के कहने का मतलव स्पष्ट है कि जहां हमारे प्रभु का जन , उनका भक्त , उनका प्रेमी होते हैं भगवान् वहीं वार वार अवतार लेतें हैं |
अब हम साधरण मनुष्य को हीं देख लिजिये हमें जो मान सम्मान देता है , आदर देता है हम उन्ही के पास जाते हैं | तो फिर भगवान् , संत भी तो भारत में हीं आऐंगे , क्योंकि भारत हरिप्रेमियों का देश है | इसलिये हमारा देश भारत एक महान देश है |
यह वह देश है जहां हमारे भगवान् की ब्रज भूमि है | हमारी मां राधारानी का बरसाना है | हमारे राम की अयोध्या है | मां सीता का पुनौरा सीतामढ़ी है | यहां के कदम कदम भूभाग पर भगवान के पैर पड़े हैं | इसलिये हमें प्यारा है भारत |  भारत भगवान का वह प्यारा भूभाग हैं जहां गीता का उपदेश , रामायण की कथा ,  नानक साहब  का गुरुग्रंथ  ,जैन और महावीर की अहिंसा का पाठ एक साथ पढ़ाया जाता है |
जहां सुरदास , कवीर , तुलसी , रैदास , तुकाराम ,  मीरा , रसखान , रवीदास का भक्ति संगीत हमे बरवस हरि प्रेम के रस में डुवो देती है | 
जहां शंकराचार्य , रामानुजाचार्य , निम्वारकाचार्य , माधवाचार्य जैसे  जगद्गुरु , चैतन्य महाप्रभु, निताई और हमारे सद्गुरुदेव कृपालु जैसे पंचममुल जगद्गुरु ( जो खुद भगवान के अवतार थे ) की अमृत धारा हमारे चित्त को चुराकर प्रेम रस में डुबो देती हैं |

हमारे महराज जी ने जिस देश के लिये अपना जगद्गुरु जैसा सिंहासन तक दान कर दिया | हमारे महराज जी ने देश के आर्थिक रुप से असमर्थ लोगों के लिये तीन तीन नि:शुल्क अस्पतालें , कई स्कूलें , बनवा दिया | महाराज जी ने हरेक प्राकृतिक आपदाओं में  प्रभावित लोगों को सहायता पँहुचाने के लिये जी खोल के दान दिया | यह वह देश है |

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