प्रेम ही ईश्वर है.

*~*~*~*प्रेम ही ईश्वर है*~*~*~*
समग्र विश्व के सभी धर्मों का एक ही लक्ष्य है - आनंद प्राप्ति | इस ' आनंद' को प्राप्त करने का एकमात्र उपाय है - भगवान को जानना | और भगवान को जानने का, उनको प्राप्त करने का भी मात्र एक ही मार्ग है - प्रेम | इस स्वल्प जीवन काल में सारे शास्त्र और वेदों का ज्ञान प्राप्त करना असंभव है |
अत: हमारे लिए श्री महाराज जी इन सब शास्त्र-वेदों का सार प्रस्तुत करते हुए इस श्लोक को उव्द्धत करते हैं-

आलोड्य सर्वशास्त्राणि विचार्य च पुन: पुन: |
इदमेकं सुनिष्पन्नं ध्येयो नारायणो हरि: ||

वे कहते हैं - ' मैने वेद, कुरान, इंजील सब पढ़ लिया , सबको स्वीकार कर लिया | मंदीर को भी अपना लिया , मस्ज़िद को भी और गिरिजाघर को भी अपना लिया, क्योंकि मैने खुदा से मोहब्बत कर ली |'
श्री महाराज जी का कहना है कि आप सभी धर्म ग्रंथों को पढ़कर देख लें , सब एक ही निष्कर्ष पर पहुँचते हैं -
" भगवान से प्रेम करो |"

ईश्वर से प्रेम करना ही उपासना है | जहाँ भगवान से एकत्व हो जाए , वही उपासना है | उसके लिए कोई नियम नही है , किसी भी भाव से हो जाए | इसे समझाने के लिए श्री महाराज जी द्वारा बताए गए एक प्रसंग आपके समक्ष प्रस्तुत हैं - 

एक बार पैगम्बर हज़रत मूसा कहीं जा रहे थे | मार्ग में उनकी नज़र एक गड़रिये पर पड़ी | वह भेड़ चरा रहा था और सिर नीचा कर आँसू बहाता हुआ कह रहा था -

ऐ ख़ुदा तू जल्दी आजा ! मैं तुझे बकरी का दूध पिलाऊँगा | तू चलते-चलते थक गया होगा क्योंकि तुम्हे तमाम दुनिया को देखना पड़ता है | मै तेरे पैर दबा दूँगा | तेरे कंबल मे चीलर पड़ गई होगी | तू इतना व्यस्त रहता है दुनिया को देखने में , दुनिया के शासन में | मैं चीलर निकाल दूँ | तेरी चप्पल फट गई होगी चलते-चलते , ला मैं सी दूँ | 
हज़रत मूसा खड़े-खड़े सब सुन रहे थे | जब उनसे रहा नहीं गया तो उन्होंने गड़रिये से कहा - ' क्यों रे ! तू कौन है ? उसने आँखें खोली और कहा -' मैं गड़रिया हूँ |' 
मूसा ने कहा - 'तू ख़ुदा से यह सब कह रहा है ! तू अपराधी है , गुनहगार है |
अरे ! भला ख़ुदा की चप्पल फटेगी | भला ख़ुदा के कम्बल में चीलर फड़ेंगी ?
भला ख़ुदा थक जाएगा ? ऐसी गंदी बाते तू ख़ुदा से करता है ? तूने ख़ुदा का अपमान किया है |'

गड़रिया यह सुनकर डर गया | उसने काँपते हुए कहा - ' मौलवी साहब ! इसका प्रायश्चित बताइए ' 
उन्होंने कहा - ' कफफारा ! कोई प्रायश्चित नहीं है इसका ! 
तुमने बहुत बड़ा अपराध किया है | '
वह बेचारा इतना डर गया कि डर कर बेहोश हो गया |

इतने में आकाशवाणी हुई - ' तुम गुनहगार हो | तुमको हमने दुनिया में पैगम्बर बनाकर इसीलिए कि तुम इंसान को मेरे पास लाओ , किन्तु तुमने तो उल्टा काम कर दिया | जाओ गड़रिये से माफी मांगो |'

हज़रत मूसा आश्चर्य चकित ! वे गड़रिये के चरणों में गिरकर कहने लगे -
' हमसे गलती हो गई | हमें माफ कर दो | ' 
ख़ुदा के मोहब्बत में डूबे गड़रिये ने कहा - 'भई ! मेरी तो ख़ुदी मिट ही गई | मुझे अब ख़ुदा के सिवा कुछ दिखता ही नहीं |'
यह उपासना है ! जहाँ एकत्व हो जाए | चाहे वह किसी भाव से हो जाए |
:- पुज्यनिया मां 
:- जय जय श्री महाराज जी | हमारे सद्गुरुदेव की जय |

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