।।स्वामीं श्री कृपालु जी महाराज।।

हमारे श्री महाराज जी जो कि पंचम मूलजगद्गुरू उत्तमई , श्रीमत्पदवाक्यप्रमाणपारावरीण , वेदमार्गप्रतिष्ठापनाचार्य, निखिलदर्शनसमन्वाचार्य सनातनवैदिकधर्मप्रतिष्ठापनसत्संप्रदायपरमाचार्य, भक्तियोगरसावतार , भगवदनन्तश्रीविभूषित श्री १००८ स्वामीं श्री कृपालु जी महाराज हैं । जो स्वयं परम चरम तत्त्व हैं , इन्होने अपने पुर्ववर्ति चारो मुल जगतगुरूओं ( श्री शंकराचार्य जी, श्री रामानुजाचार्य जी , श्री निम्बारकाचार्य जी और श्री माध्वाचार्य जी ) के एक पक्षिय सिद्धांतों को विना खारिज किए हुए , उनके अद्वेत्, द्वेत, द्वेताद्वेत, विशिष्टा द्वेत सिध्दांत ज्ञानों का विना खंडन करते हुए सभी का समन्वाकरण करते हुए कलिमल ग्रसित हम पतित जीवों के अज्ञानता को दुर करने का अथक प्रयास किया हैं , अपने पुर्ववर्ति जगद्गुरूओं के ज्ञान के वास्तविक अर्थों को आसान बनाकर , आसान शब्दों में चारो वेदों , पुराणों , उपनिषदों , गीता , श्री मद्भागवद् , श्री वाल्मिकि रामायण ,तुलसीकृत रामायण , चैतन्यचरितामृत आदि ग्रंथों का प्रमाण प्रस्तुत करते अंत में सगुण साकार पुर्ण ब्रह्म श्रीराधाकृष्ण की हीं उपासना पर वल दिए हैं । भग...