जब तुमको मैं मिल गया हूं और तुमने मुझे अपना मान लिया है तो फिर चिंता क्यों करती हो ।

जब तुमको मैं मिल गया हूं और तुमने मुझे अपना मान लिया है तो फिर चिंता क्यों करती हो । 
मैं हूं न ! ये संसारिक सुख दुख तो प्रारब्धबस आता जाता रहता है , हमेशा नहीं रहता । प्रारब्ध है हस के भोगों और आगे बढ़ो , सब समय एक जैसा नहीं रहता , अप डाउन होता रहता है प्रारब्ध के कारण , चिंता मत करो । चिंता तो तभी होती है जब किसी जीव को अपने गुरू और ईष्ट पर भरोसा नहीं है । हरि गुरू किसी को दुख नहीं देते हैं ।अरे वो तो कृपालु है , हमेशा कृपा हीं करते हैं, अंदर ही अंदर संभालते रहते हैं , शरणागत का योग क्षेम वहन करने का जिम्मेदारी उनका है , तुम क्यों चिंता करते हो । भगवान और गुरू में मन लगाना तुम्हारा काम है वांकी सब हम पर छोड़ दो । :- श्री महराज जी , मनगढ़ धाम ।

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