भगवद् प्रेमी को पागल ही कहा गया है संसार में ।

भगवद् प्रेमी को पागल ही कहा गया है संसार में । जब लोग वाग पागल कहने लगे हमें और समझने लगे  , हमारा विरोध करने लगे तथा मजाक उड़ानें लगे तब समझना चाहिए कि हम सही रास्ते पर है । भगवद् प्रेमी संसार से अपमान कि ही अपेक्षा रखता है । जितना अपमान मिलेगा उतना अहंकार जाएगा और दीनता का भाव उतरेगा मन में नेचुरली । जितनी दीनता का भाव उतरेगा मन में उतने ही भगवद् प्रेम का आंसू आएंगे , जितना आंसू आएंगे उतना ही अंत:करण का कलमस धूलेगा , जितना कलमस धूलेगा उतना अंत:करण शूद्ध होगा । और जितना अंतःकरण शुद्ध होगा उतना अंतःकरण दिव्य बना दिया जाएगा गुरू द्वारा और  उतना हीं भगवद् संबंधित बिषयों का प्रत्यक्ष अनुभव होगा हमें  ।  इसलिए संसार से अपमान की ही अपेक्षा रखनी चाहिए, संसार से जो सम्मान कि अपेक्षा रखें उसे साधक व भक्त नहीं कहा जा सकता । ऐसे भी संसार किसी को अच्छा नहीं कहता है । मतलव के अनुसार ही संसार झूकता है किसी के सामने , वरन पीठ पीछे लोग बुराई ही करते हैं एक दुसरे का । श्री राधे ।
:- पूज्यनीयां रासेश्वरी देवी जी के प्रवचन का सार ।

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