दुर्गा कौन हैं ?

दुर्गा कौन हैं ?

जो कुछ शंकर करते हैं और जो कुछ शंकर हैं, वही दुर्गा हैं, सीधी-सीधी बात। अब उनके...
जैसे भगवान के अनन्त रूप हैं, अनन्त अवतार हैं, ऐसे भगवती के भी अनन्त अवतार हैं, उन्हीं अनन्त अवतारों में एक अवतार, 
जिसको भगवान नहीं मार सके— मधु कैटभ, शुम्भ-निशुम्भ, रक्तबीज, इन राक्षसों को भगवान नहीं मार सके। 
दशवर्ष सहस्राणि बाहुप्रहरणो विभुः।

भगवान...दस हज़ार वर्ष तक युद्ध किया है भगवान ने, मधु कैटभ से 
और नहीं जीत सके। तो मधु कैटभ ने कहा वर माँगो, सबको वर देते हो, हम तुमको वर देते हैं। 
तो... तो उनको फिर ये देवी जी का रूप धारण करके, भगवान ही तो देवी जी बने थे। उन्हीं का तो सब स्वांश हैं। वो स्वयं देवी बन गये 
और पचास भुजा और पचास सिर बना-बनुकर के अपना और उसको मार-मूरके खतम किया। 

तो, लौकिक दृष्टि से तो भगवान जिसको मार नहीं सके, उसको मारा है दुर्गा ने। काली ने। जिसके उपासक रामकृष्ण परमहंस हैं। इसलिये मार्कण्डेय पुराण में कहा है—
यस्या स्वभावमतुलं भगवाननन्तो
ब्रह्माहरश्च नहि वक्तुं अलं बलं च। 

जिन महाकाली की महिमा को भगवान विष्णु नहीं जान सकते, इतनी बड़ी शक्ति हैं वो, दुर्गा। जैसे श्रीकृष्ण को, दुर्गा आदि की शक्तियों को नहीं जान सकते, ये बोला जाता है न, राधा की सब सेविकाएँ हैं। तो जैसे श्रीकृष्ण के सब स्वांश हैं, सारे अवतार, वैसे राधा के सब स्वांश हैं सारे ये इनकी श्रीमती लोग, जिनको हम कहते हैं दुर्गा वगैरह। ये राधा की ही स्वरूप हैं। उनकी स्वांश हैं। ये जीव कोटि से नहीं बने शंकर जी। जीव कोटि से कोई दुर्गा नहीं बन सकता। ये तो भगवान ही बनते हैं। उनका अवतार कहलाता है। अब उनमें शक्तियाँ और सारी चीजें प्रकट कहीं सब में होतीं नहीं। महाविष्णु तक में नहीं होतीं तो इनमें क्या होंगीं। ये तो मार-धाड़ वाले स्वरूप हैं भगवान के। तो इसलिये भक्त कहता है हमें नहीं चाहिये दुर्गा, हमें नहीं चाहिये मार-धाड़ वाला स्वरूप। बच्चा कहता है, हमको ऐसी माँ चाहिये जो प्यार करे। ऐसी माँ राधा हैं, सीता हैं, इसलिये उनकी उपासना करते हैं लोग। और, उनसे पृथक नहीं हैं दुर्गा वग़ैरह। वही बनती हैं दुर्गा। 

#निखिलदर्शनसमन्वयाचार्य_जगद्गुरुत्तम_श्री_कृपालु_जी_महाराज

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