चलिए गोलोक के बारे में जानते हैं आज ।। गोलोक का वर्णन विस्तृत रूप से :-ब्रह्मादि देवताओं द्वारा गोलोकधाम का दर्शन के साथ हम भी भाव देह से वहां चलते हैं ।
चलिए गोलोक के बारे में जानते हैं आज ।। गोलोक का वर्णन विस्तृत रूप से :- ब्रह्मादि देवताओं द्वारा गोलोकधाम का दर्शन के साथ हम भी भाव देह से वहां चलते हैं । भगवान विष्णु द्वारा बताये मार्ग का अनुसरण कर देवतागण ब्रह्माण्ड के ऊपरी भाग से करोड़ों योजन ऊपर गोलोकधाम में पहुंचे। गोलोक ब्रह्माण्ड से बाहर और तीनों लोकों से ऊपर है। उससे ऊपर दूसरा कोई लोक नहीं है। ऊपर सब कुछ शून्य ही है। वहीं तक सृष्टि की अंतिम सीमा है। गोलोकधाम परमात्मा श्रीकृष्ण के समान ही नित्य है। यह भगवान श्रीकृष्ण की इच्छा से निर्मित है। उसका कोई बाह्य आधार नहीं है। अप्राकृत आकाश में स्थित इस श्रेष्ठ धाम को परमात्मा श्रीकृष्ण अपनी योगमायाशक्ति से (बिना आधार के) वायु रूप से धारण करते हैं। उसकी लम्बाई-चौड़ाई तीन करोड़ योजन है। वह सब ओर मण्डलाकार फैला हुआ है। परम महान तेज ही उसका स्वरूप है। प्रलयकाल में भी वहां श्रीकृष्ण अपने जनों के साथ परिकरों के साथ रहते हैं । वो गोलोक गोप-गोपियों से भरा रहता है। गोलोक लोक से सटा साकेतपुरी है , उसके नीचे पचास करोड़ योजन दूर दक्षिण में वैकुण्ठ और वामभाग में शिवलोक है। वैकुण्ठ व शिवलो...